National Cancer Awareness Day: हर साल 1 नवंबर को राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच शिक्षा और जागरूकता को बढ़ाना है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय कैंसर दिवस 4 फरवरी को मनाया जाता है, जो कि अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ के द्वारा किया गया एक पहल है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में 70 प्रतिशत कैंसर के लिए रोकथाम योग्य कारक हैं, जिनमें से 40 फीसदी तंबाकू और 20 फीसदी संक्रमण से जुड़ें हैं। इसके बाद 10 प्रतिशत अन्य कारकों के कारण हैं।
क्या है कैंसर
कैंसर बेहद खतरनाक बीमारी है, जिसका यदि सही समय पर इलाज नहीं किया जाए तो मौत का भी जोखिम बढ़ सकता होता है। कोई भी बीमारी अचानक नहीं होती है। ठीक यही हाल कैंसर रोग में भी होता है। दरअसल, कैंसर हमारे शरीर को धीरे-धीरे अपना शिकार बनाता है और फिर बॉडी को बेहद कमजोर कर देता है। बताया जाता है कि शरीर की कोशिकाओं के समूह की असामान्य व अनियंत्रित वृद्धि से कैंसर होता है। अगर इसका समय पर इलाज न कराया जाए तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है। खराब खानपान और गलत जीवनशैली कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ावा देती है।
प्रोस्टेट कैंसर
पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रोस्टेट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत में भी अन्य देशों की तरह प्रोस्टेट कैंसर के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं। 60 से अधिक उम्र वाले पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड में कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। पेशाब की नली के चारों ओर अखरोट के आकार का प्रोस्टेट ग्लैंड होता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण
- तेज दर्द या जलन के साथ पेशाब (Urine) करने के दौरान जलन महसूस होना का जलन होना
- यूरिन रोक नहीं पाना को रोक न पाना और दिक्कत के साथ या रुक रुक कर पेशाब का होना
- यूरिन में रक्त का आना
- शरीर के पिछले हिस्से में दर्द महसूस होना का बने रहना
प्रोस्टेट कैंसर के प्रकार
ये मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं। एग्रेसिव प्रॉस्टेट कैंसर और नॉन एग्रेसिव प्रोस्टेट कैंसर।
- एग्रेसिव प्रॉस्टेट कैंसर- इसे तीव्र विकसित होने वाला कैंसर भी कहते हैं। दरअसल, एग्रेसिव प्रॉस्टेट कैंसर बहुत तेजी से शरीर में विकसित होता है। यही नहीं बल्कि यह तेजी से बॉडी के दूसरे अंगों में भी फैलने लगता है।
- नॉन एग्रेसिव प्रोस्टेट कैंसर- इस कैंसर को धीमी गति से विकसित होने वाला कैंसर भी कहते हैं, जो पुरुषों में केवल प्रोस्टेट ग्लैंड में ही पाया जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
बारीकी से निगरानी
प्रोस्टेट कैंसर आसपास के हिस्सों या हड्डियों में फैलने लग जाता है। इस दौरान पीड़ितों को नियमित रूप से बायोप्सी, प्रोस्टेट विशिष्ट ऐंटीजेन (पीएसए) टेस्ट करवाना चाहिए जिससे यह पता चल सके कि कैंसर बढ़ रहा है या नहीं।
सर्जरी
सर्जन प्रोसेस ग्लैंड आसपास के कुछ ऊतक (Tissue) (tissue) को निकाल देते हैं। क्रायोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी, हार्मोन थेरेपी इत्यादि भी इसके इलाज में शामिल है।
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