Highlights
- माँ बनने की खुशी किसी भी महिला के लिए 9 महीने की तपस्या का फल होता है।
- बच्चे का चेहरा देखकर वो मां प्रेगनेंसी की सारी परेशानियां भूल जाती है।
Pregnancy Tips: वो ख़ुशी के पल अब जल्द आएं मेरी जिंदगी बस तुझमे ही सिमट जाए। वाकई दुनिया की सारे सुख एक तरफ और माँ बनने की खुशी एक तरफ। इस फीलिंग को शब्दों में बयां करना मुश्किल है क्योंकि ये किसी भी महिला के लिए 9 महीने की तपस्या का फल होता है। सारी दुख तकलीफें सहकर एक मां अपने बच्चे को जन्म देती है। उस बच्चे का चेहरा देखकर वो मां प्रेगनेंसी की सारी परेशानियां भूल जाती है।
जैसे चक्कर आना, पेट में दर्द होना, हाथ पैर में स्वेलिंग और मूड स्विंग्स इतना ही नहीं इस दौरान मां पर कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान हर छोटी से छोटी चीज़ का ख्याल रखना चाहिए क्योकि ज़रा सी लापरवाही शरीर में डेफिशियंसी या थायराइड, शुगर, PCOD जैसी किसी गंभीर बीमारी की वजह बन सकती है।सिजेरियन डिलीवरी के चांस भी कई गुना बढ़ जाते हैं। तभी तो जिस देश में दाई मां घर पर ही डिलीवरी करा देती थी उसी देश में अब हॉस्पिटल में डिलीवरी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
इनफर्टिलिटी
हैरत की बात है कि नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस की स्टडी के मुताबिक इन दिनों हर तीसरी डिलीवरी सर्जरी के ज़रिए कराई जा रही है। इसके बावजूद कई ऐसी महिलाएं हैं जिनको मां बनने का बेसब्री से इंतज़ार है, लेकिन उनकी राह में मुश्किलें हज़ार हैं। देश में 10 से 15 प्रतिशत कपल ऐसे हैं जो इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं। इनफर्टिलिटी के लिए वैसे तो हमेशा महिला को ही दोष दिया जाता है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। Ernst & Young की स्टडी के मुताबिक बच्चा ना होने के मामलों में 40% महिलाएं तो 40% पुरुष भी वजह बनते हैं। इसके लिए सिर्फ बढ़ती उम्र को ही ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकते क्योंकि एक्सपर्ट्स के मुताबिक आजकल 25 से 30 साल की उम्र में भी ये प्रॉब्लम काफी देखने को मिल रही है। सही guidance और योग की शक्ति से ये परेशानी भी दूर होगी और घर में एक हेल्दी बच्चे की किलकारी भी गूजेंगी।
प्रेगनेंसी में दिक्कत
- चक्कर
- पेटदर्द
- बीपी इम्बैलेंस
- सांस फूलना
- हाथ-पैर में सूजन
- एसिटिडी
- मूड स्विंग्स
- फिज़िकल-मेंटल हेल्थ पर असर
प्रेगनेंसी में बीमारी का खतरा
- थायराइड
- PCOD
- शुगर
- लिवर प्रॉब्लम
- एनीमिया
- हार्मोनल चेंजेज़
नॉर्मल डिलीवरी
- नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस की स्टडी
- हॉस्पिटल में डिलीवरी के मामले बढ़े
- अस्पताल में 10 में से 9 डिलीवरी
- हर तीसरी डिलीवरी सिजेरियन
भारत में इनफर्टिलिटी रेट
- लगभग 3 करोड़ कपल परेशान
- 40% मामलों में वजह बनी महिलाएं
- 40% केस में पुरूष ज़िम्मेदार
- खराब लाइफस्टाइल से इनफर्टिलिटी
- कोई बीमारी भी हो सकती है वजह
प्रेगनेंसी कैसे बनेगी आसान
- रेगुलर योग करें
- खाने-पीने पर ध्यान दें
- लाइफस्टाइल सुधारें
प्रेगनेंसी में क्या खाएं ?
- डेयरी प्रोडक्ट्स
- हरी पत्तेदार सब्जियां
- ड्राई फ्रूट्स
- अखरोट
- ओट्स
प्रेगनेंसी में रखें ध्यान
- ज़्यादा खाने से बचें
- पूरी नींद लें
- वर्कलोड ना लें
- फास्टफूड ना खाएं
- भारी वज़न ना उठाएं
- कैफीन के सेवन से बचें
- धूम्रपान-एल्कोहल से बचें
प्रेगनेंसी में क्या करें
- आयरन से भरपूर खाना खाएं
- रेगुलर वर्कआउट करें
- पॉज़िटिव थिंकिंग रखें
- हेल्दी टाइमटेबल बनाएं
- रेगुलर चेकअप कराएं
प्रेगनेंसी में रहें अलर्ट
- ब्लीडिंग होने पर
- पेटदर्द होने पर
- हाथ-पैर में ज़्यादा सूजन आने पर
- लगातार सिरदर्द होने पर
- स्किन में खुजली-रैशेज़ हों तो
- 1 दिन से ज़्यादा बुखार रहे तो
- मसूड़ों से खून आने पर
इनफर्टिलिटी कैसे दूर करें
- सुबह जल्दी उठें
- योग-वर्कआउट करें
- बादाम,खजूरअंजीर खाएं
- अनार का रस पीएं
- तला भुना खाने से बचें
- तनाव दूर करें
- वज़न ना बढ़ने दें
PCOD के लिए क्या करें ?
- जंक फूड ना खाएं
- एलोवेरा जूस पीएं
- वजन कंट्रोल करें
- चाय-कॉफी कम लें
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