Pregnancy Abortion: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक 27 साल की महिला ने अपनी 26 सप्ताह की प्रेगनेंसी को अबॉर्ट कराने के लिए याचिका दायर की थी। महिला का कहना है कि उनके पहले से ही दो बच्चे हैं और वो पिछले कुछ समय से मानसिक रूप से ठीक महसूस नहीं कर रही है। खासतौर से एक साल पहले अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद उन्हें काफी मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी। ऐसे में वो एक और बच्चे की जिम्मेदारी संभालने की स्थिति में नहीं हैं। इस मामले पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दे दी थी, लेकिन एक दिन बाद ही कोर्ट ने अपना फैसला बदल दिया।
भारत में गर्भपात के लिए क्या है कानून
भारत में गर्भपात कराने के लिए समय और कुछ खास परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कानून बनाया गया है। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के मुताबिक सिर्फ एक सर्टिफाइड डॉक्टर ही अबॉर्शन कर सकता है। अगर प्रेगनेंसी से महिला के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा है या भ्रूण (Fetus) के किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित होने की आशंका हो, या डिलीवरी होने से फिजिकली समस्या होने पर अबॉर्शन की अनुमति मिल सकती है। ऐसी स्थिति में 2 डॉक्टर गर्भवती महिला का चेकअप करते हैं और ये तय करते हैं कि गर्भपात करना सेफ है या नहीं है। इसके अलावा रेप पीड़िता, नाबालिग, मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार महिलाओं को 20-24 हफ्ते के बीच अबॉर्शन कराने की अनुमति मिलती है।
देरी से गर्भपात कराने से खतरा
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रूबी सेहरा का कहना है कि '26 सप्ताह में गर्भपात कराने से की याचिका को खारिज करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सराहना के लायक है। इससे महिला के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। 20 सप्ताह के बाद गर्भपात कराने से कई मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। महिला को ज्यादा ब्लीडिंग, इंफेक्शन, और गर्भाशय (Uterus) के आस-पास के अंगों (Organs) पर चोट लग सकती है। इससे महिलाओं का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी बिगड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कई बार महिलाएं अपराधबोध (Guilt) अवसाद (Depression) और लंबे समय तक इमोशन ट्रॉमा से पीड़ित रहने का खतरा रहता है।'
कब कराया जा सकता है सुरक्षित गर्भपात
मदरहुड हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मनीषा रंजन का कहना है कि 'अगर 24 सप्ताह बाद एक मेडिकल बोर्ड ये डिसाइड करती है कि क्या इस प्रेगनेंसी को हम सेफली टर्मिनेट कर सकते हैं। इसके लिए कोई ठोस कारण हो, जिसे मेडिकल बोर्ड अप्रूव करता हो। सेफ अबॉर्शन 9 वीक तक है। इसके बाद 12 हप्ते से 20 हफ्ते की प्रेगनेंसी को भी सेफली अबॉर्शन कराया जा सकता है। ऐसी स्थिति में कॉम्प्लीकेशन्स कम होते है।'
इन परिस्थितियों में मिलती है गर्भपात की अनुमति
शारदा हॉस्पिटल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रुचि श्रीवास्तव का कहना है कि 'मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में 20 सप्ताह तक की प्रेगनेंसी को आप अबॉर्ट करा सकते हैं। अगर मां या फीटस की जान को खतरा है या कोई असामान्य परिस्थिति है तो ऐसी स्थिति में 24 सप्ताह से अधिक के गर्भपात की अनुमति दी जाती है।'