इन दिनों हमारे आस-पास सिर्फ एक ही खबर चल रही। दिल्ली-NCR की हवा खराब हो रही है और कभी AQI बढ़ रहा है तो कभी घट रहा है। लेकिन, आपको समझना होगा कि आपके लिए इसके क्या मतलब हैं। दरअसल, इसे जाने बिना आप ये नहीं समझ पाएंगे कि आपके लिए ये बात कितनी चिंताजनक है। इसके अलावा इसका वास्ता हमारी सेहत से कैसे है। तो, इन तमाम बातों को जानने के लिए आपको इस Air Quality Index (AQI)के गुणा-भाग को समझना होगा। तो, आइए, समझते हैं इसे।
खराब AQI क्यों है चिंता की बात-Poor air quality meaning for health
अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (Environmental Protection Agency) ने जनता को वायु प्रदूषण के स्तर और हमारे स्वास्थ्य के लिए पैदा होने वाले खतरों के बारे में सूचित करने के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) नामक एक उपकरण बनाया है। औसत मनुष्य प्रतिदिन लगभग 22,000 सांसें लेता है, जिससे हमारे शरीर को काम करने के लिए जरूरी ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। स्वच्छ, ऑक्सीजन युक्त हवा हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, लेकिन हमारे आस-पास की हवा में हानिकारक पदार्थ भी हो सकते हैं, जिन्हें प्रदूषक कहा जाता है। AQI हवा में प्रदूषकों के स्तर को दर्शाती है।
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अच्छी वायु गुणवत्ता (Good AQI) का मतलब है कि हवा अपेक्षाकृत साफ है और उस दिन प्रदूषक तत्व कम या बिल्कुल भी मौजूद नहीं हैं। खराब वायु गुणवत्ता (Bad AQI) का मतलब है कि हवा में एक या कई प्रदूषक कण ज्यादा मात्रा में हैं जो हमारे फेफड़ों की सेहत के लिए सही नहीं हैं। साथ ही इनमें
-Ground level Ozone जिसे पार्टिकुलेट मैटर भी कहा जाता है, जिसमें PM2.5 और PM10 भी शामिल है।
-कार्बन मोनोआक्साइड
-सल्फर डाइऑक्साइड
-नाइट्रोजन डाइऑक्साइड भी है जो कि फेफड़ों के लिए सही नहीं है।
और हवा में इन सबके होने का मतलब है कि ऑक्सीजन की मात्रा कम है जो कि आपके फेफड़ों के लिए सही स्थिति नहीं है। इससे शरीर में ये तमाम लक्षण महसूस हो सकते हैं।
ऑक्सीजन कम होने के लक्षण-lack of oxygen symptoms in body in hindi
हवा में ऑक्सीजन कम होने से आपको हाइपोक्सिमिया (Hypoxemia) हो सकता है। ये आपके रक्त में ऑक्सीजन का निम्न स्तर है। इसके कारण
-सिरदर्द
-सांस लेने में कठिनाई
-तेज हृदय गति
-त्वचा का नीला पड़ना खासकर त्वचा, नाखूनों और होठों का।
-खांसना।
-सीने में घरघराहट।
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इतना ही नहीं, ऑक्सीजन का कम होना ब्रेन डैमेज का कारण बन सकता है। ऑक्सीजन की कमी अगर 30-180 सेकंड तक रह जाती है तो आप अपनी चेतना खो सकते हैं। एक मिनट तक रहने पर, मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती हैं। तीन मिनट में, न्यूरॉन्स को क्षति होती है और स्थायी मस्तिष्क क्षति की संभावना अधिक हो जाती है। पांच मिनट ऐसा ही रहने पर मृत्यु हो सकती है।