पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस के कारण खौफ के माहौल में जी रही हैं। जहां एक ओर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन और इलाज ढूंढ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर इजरायल की प्यूरीस्टेम थेयाप्यूरि की कंपनी से दावा किया है कि स्टेम सेल्स थेरेपी के द्वारा कई मरीजों को सही किया जा चुका है। इस बात पर कितनी सच्चाई है जानें इंडिया टीवी के खास शो में मौजूद डॉक्टरों के पैनल से।
दरअसल 'प्यूरीस्टेम थेयाप्यूरि' कपंनी ने स्टेम सेल से उपचार का काम और प्रयोगशाला में सेल्स का निर्माण किया है। यह शोध उन्होंने ऐसे 8 लोगों पर किया जो कोरोना से गंभीर स्टेज में पहुच गए थे। इसनें से 7 इजरायल के और 1 अमेरिका था। इस कंपनी का दावा है कि अब ये मरीज पूरी तरह से सही हो चुके हैं। कुछ ही महीनों में हम वैक्सीन बना लेंगे।
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क्या है स्टेम सेल्स?
शरीर के अंदर मौजूद स्टेम सेल यानी मूल कोशिकाएं शरीर की बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं। इसमे जब स्टेम सेल टूटता है, तो हर नए सेल में स्टेम सेल बने रहने या स्पेशलाइज्ड सेल बनने की क्षमता होती है। स्टेम सेल आमतौर पर बोन मैरो, सर्कुलेटिंग ब्लड, अमबिलिकल (गर्भनाल) कॉर्ड ब्लड से निकाले जाते हैं।
कैसे करता है स्टेम सेल्स काम?
स्टेम सेल्स इम्यूम सिस्टम को मजबूत करती है। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है। जिससे कोरोना वायरस को निजात पाने में कारगर माना जाता है।
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जानें डॉक्टरों की राय
डॉक्टर हर्ष महाजन का कहना हैं कि अगर ये थेरेपी वास्तव में काम करती है तो यह विश्व के लिए अच्छी बात है। लेकिन अभी ये कहना गलत होगा कि यह पूरी तरीके से काम करती हैं। जब तक की इसका सबूत न मिल जाए।
स्टेम सेल्स से उन मरीजों का इलाज किया जा रहा जो कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित है। यह एक सर्पोटिव थेरेपी है। जब आदमी बहुत बीमार हो जाता है, तो हमारे बॉडी में इतने एंडीबॉडी बन जाते है कि वह शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को मारने लगता है। ऐसे में स्टेम सेल्स मदद करता है।
डॉक्टर पद्मा के अनुसार स्टेम सेल्स को लेकर भारत में कई रिसर्च की जा चुकी है। यह कई और रोगों में इस्तेमाल की जातीहै। लेकिन यह कोरोना वायरस में कितना फायदेमंद होगा। यह कहना थोड़ा मुश्किल है।
चीन से डॉक्टर संजीव चौबे कहना हैं कि इस कंपनी से दवा किया है कि हम विश्व को 3-4 माह में वैक्सीन देंगे। ऐसा संभव नहीं है क्योंकि किसी वैक्सीन को लॉंच करने के लिए कई ट्रायल देने होते है। ऐसे में संभव ही नहीं है कि यह 3 माह में आ जाए।