Thursday, November 21, 2024
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कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद लोग हो रहे टीटीएस सिंड्रोम के शिकार, जानें क्या है इस बीमारी के लक्षण?

हाल ही में एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने ये माना है कि उनकी कोविड वैक्सीन से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) जैसी बीमारियों की शिकायत हो सकती है

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Updated on: April 30, 2024 22:01 IST
क्या है टीटीएस सिंड्रोम? - India TV Hindi
Image Source : SOCIAL क्या है टीटीएस सिंड्रोम?

2020 में आए कोविड के भयंकर प्रकोप के बाद, लोगों को बचाने के लिए कोविशील्ड वैक्सीन का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया। इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कंपनी ने बनाया और इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा इसका निर्माण किया गया है। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार यह माना कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से लोग टीटीएस (TTS) सिंड्रोम जैसे गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम इसकी वजह से शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं और  इससे पीड़ित व्यक्ति को दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

ANI की एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) कोविड टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. जयदेवन ने कहा, " कुछ टीकों के इस्तेमाल के बाद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के कुछ दुर्लभ मामले सामने आये हैं। हालांकि, टीका लगवाने के लाभ टीटीएस सिंड्रोम से जुड़ी बीमारियों से कहीं अधिक हैं। कोविड वैक्सीन ने निस्संदेह लोगों की जान बचाई है.’’ उनका यह बयान एस्ट्राजेनेका कंपनी की ओर से अदालत के सामने इस स्वीकारोक्ति के बाद आया है कि उनके द्वारा बनायी गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है।

क्या है टीटीएस सिंड्रोम?

टीटीएस सिंड्रोम, जिसे वैक्सीन-प्रेरित इम्यून थ्रोम्बोटिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (वीआईटीटी) के रूप में भी जाना जाता है। यह मामले उन लोगों में देखने को मिले हैं जिन्होंने वैक्सजेवरिया, कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका) और जॉनसन एंड जॉनसन/जानसेन कोविड-19 वैक्सीन जैसे एडेनोवायरल वेक्टर कोविड-19 टीके लगवाए थे। 

टीटीएस सिंड्रोम में खून में थक्के जमने लगते हैं, यह एक प्रकार का सेरेब्रल वेनस साइनस थ्रोम्बोसिस (सीवीएसटी) है, जिसमें दिमाग में खून के थक्के बनते हैं। साथ ही इससे प्लेटलेट काउंट में कमी आने लगती है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्तस्राव की समस्या हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, टीटीएस सिंड्रोम एक गंभीर और दुर्लभ घटना है जो कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले कुछ लोगों में पायी गई है। यह स्थिति ज़्यादातर युवा व्यक्तियों, खासकर 60 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में रिपोर्ट की गई है।

क्या हैं टीटीएस सिंड्रोम के कारण?

टीटीएस सिंड्रोम के सटीक कारण की अभी भी जांच की जा रही है। लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि जब कोविशील्ड वैक्सीन शरीर में जाती है तो यह कोरोनावायरस की सरफेस पर पाए जाने वाले स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए इम्यून रिस्पॉन्स को ट्रिगर करती है। कुछ लोगों में, यह इम्यून रिस्पॉन्स ज़्यादा सक्रिय हो जाते हैं जिस वजह से खून में थक्के बनने लगते हैं।

क्या हैं टीटीएस सिंड्रोम के लक्षण-

  • लगातार और गंभीर सिरदर्द
  • धुंधली दिखना
  • सांस लेने में परेशानी
  • सीने में दर्द होना
  • पैरों में सूजन आना
  • पेट में दर्द
  • इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन या लालिमा
  • हाथों या पैरों में कमजोरी या सुन्नपन
  • दौरा पड़ना 

टीटीएस सिंड्रोम से कैसे करें बचाव?

आगर समय रहते इस बीमारी की पहचान हो जाए, तो TTS सिंड्रोम का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। ट्रीटमेंट में थक्के को रोकने के लिए खून को पतला करने वाली दवाओं का इस्तेमाल शामिल हो सकता है और गंभीर मामलों में, खून के थक्कों को हटाने के लिए सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है। आपको बता दें TTS सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है टीका लगवाने के बाद इसके विकसित होने की संभावना बेहद कम है।

 

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