Highlights
- टीबी के दौरान पौष्टिक आहार लेना चाहिए
- इलाज के बाद सामान्य जिंदगी जी सकते हैं
- मरीज को 7-8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए
Tuberculosis TB Disease: टीबी को लेकर लोगों के जहन में अकसर तमाम तरह के सवाल होते हैं। जैसे टीबी के इलाज के दौरान क्या कामकाज करना जारी रखना चाहिए? टीबी के बाद कैसी जिंदगी जी जानी चाहिए? तो हम इन्हीं सवालों के जवाब आपको देने जा रहे हैं। ये टीबी पर लिखे गए लेख का PART-4 है। पिछले तीन पार्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। आपके सवालों का जवाब देने के लिए हमने जाने माने डॉक्टर अजय कोच्चर से बात की है। वह ट्यूबरकुलोसिस और चेस्ट डिजीज स्पेशलिस्ट हैं। वह दिल्ली के संजीवन हॉस्पिटल के अलावा अपने टीबी सेंटर में भी मरीजों का इलाज करते हैं। डॉक्टर कोच्चर के पास करीब 34 साल का अनुभव है। वह 1988 से टीबी के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हमने डॉक्टर कोच्चर से टीबी पर विस्तार से बात की है, जिसमें पूरी कोशिश की गई है कि कोई भी सवाल न छूटे और आपको पूरी जानकारी मिल सके। ये आर्टिकल का PART-4 है।
32. टीबी का इलाज पूरा होने के बाद, किसी की बाकी की जिंदगी क्या आम लोगों की तरह ही सामान्य रह सकती है?
जवाब- बिलकुल, इलाज के बाद सेहत ठीक रखें, तो सामान्य जिंदगी जी सकते हैं।
33. इलाज के दौरान दवाओं के क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं? जैसे नींद न आना।
जवाब- नींद न आना, दवा का साइड इफेक्ट नहीं है। दवाओं के साइड इफेक्ट अलग-अलग हो सकते हैं।
34. मान लीजिए किसी को टीबी है, वो 9 घंटे की नौकरी के अलावा भी कई सारे काम कर रहा है, तो इसका उसके शरीर, बीमारी और इलाज पर कैसा असर पड़ेगा?
जवाब- अगर वो खाना ठीक से खा रहा है, तो कोई दिक्कत नहीं है। हम तो सलाह देते हैं कि काम पर जाओ। ज्यादा काम करने से इलाज पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि मरीज 20 घंटे काम कर सकता है। हम सामान्य सरकारी नियम के 8 घंटे के हिसाब से काम करने को कहते हैं। खाने में बाहर का कुछ नहीं खाना चाहिए। मरीज को 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। अगर नींद न आने की दिक्कत है, तो उसका दवा या बीमारी से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन बीमारी की वजह से मरीज सोच में पड़ जाता है, नींद न आने के पीछे ये भी एक कारण हो सकता है।
35. मरीज को इलाज के दौरान क्या खाना चाहिए और जब इलाज पूरा हो जाए, तो क्या खाना चाहिए। कैसी जिंदगी जीनी चाहिए?
जवाब- हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए। ये सबसे जरूरी चीज है। एक्सरसाइज भी वजन बढ़ाने के बाद ही शुरू करनी चाहिए। और फिर कभी छोड़नी नहीं चाहिए।
36. बचपन में बीसीजी टीकाकरण होने के बावजूद भी ये बीमारी क्यों हो जाती है?
जवाब- वो बस शुरुआत के कुछ वर्षों तक काम करता है, उसके बाद नहीं करता। ये आमतौर पर दोबारा नहीं लगाया जाता। किसी-किसी को लगता है, वो डॉक्टर पर निर्भर करता है कि किसे जरूरत है और किसे नहीं है। वो बचपन में बचाकर रखता है क्योंकि बचपन की बीमारी खतरनाक होती है। इसलिए टीकाकरण के बावजूद दोबारा टीबी हो जाता है क्योंकि इससे बचपन में ही सुरक्षा मिलती है, उसके बाद नहीं।
37. टीबी के मरीज के शरीर पर कैसा प्रभाव पड़ता है? इससे कौन से अंग प्रभावित हो सकते हैं, क्या इसका फेफड़ों पर भी प्रभाव पड़ता है?
जवाब- सभी अंग प्रभावित हो सकते हैं, सिवाय नाखून और दांतों के। दांतों के अंदर वाला हिस्सा भी प्रभावित हो सकता है। लेकिन दांत का बाहर वाला दांत का हिस्सा नहीं। सबसे ज्यादा फेफड़ों में टीबी होता है।
38. क्या ये बीमारी जड़ से खत्म हो सकती है?
जवाब- बिलकुल हो जाती है। बस दोबारा शरीर कमजोर नहीं होना चाहिए। इलाज के बाद सबकी बीमारी जड़ से ठीक हो जाती है।
39. टीबी कब जानलेवा हो जाता है?
जवाब- जब बहुत ज्यादा नुकसान हो जाए, यानी डैमेज हो जाए, तो जानलेवा हो सकता है। वक्त पर इलाज न हो, या वो रेसिस्टेंट हो जाए या सही से इलाज न हो, या फिर इलाज सही से मिला लेकिन दवा ही समय पर न ली गई हो।
40. अगर किसी को टीबी है, लेकिन वो इलाज नहीं करा रहा, तो वह कितने वक्त तक इस तरह जीवित रह सकता है?
जवाब- ये बात अपने-अपने शरीर के हिसाब से होती है। जितनी कम इम्युनिटी होगी, उतना ही कम समय होगा। ये चीज इम्युनिटी पर निर्भर करती है।
41. टीबी ठीक होने के बाद क्या जीवन के साल कम हो सकते हैं, यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी?
जवाब- ऐसा नहीं है।
42. किस उम्र के लोगों को टीबी सबसे ज्यादा हो रहा है?
जवाब- पुराने जमाने में, 1980 और 1990 के दौर में टीबी उन लोगों को होता था, जो या तो बुजुर्ग हैं या फिर गरीब हैं। लेकिन आजकल के जमाने में हर किसी को हो सकता है। हमारे पास हर तरह के मरीज आ रहे हैं। मॉल के मालिक से लेकर नवजात बच्चे तक। 15-16 साल की लड़कियां सबसे ज्यादा हैं। क्योंकि वो खाना-पीना छोड़ देती हैं, दुबली रहने के लिए। ये सबसे बड़ी मुसीबत है और इसकी वजह से उन्हें टीबी हो जाता है। क्योंकि शरीर कमजोर हो जाता है। और कहीं भी जाएंगी, जैसे रिक्शा और मैट्रो, कौन खांसी कर रहा है पता नहीं चलता। ज्यादातर रिक्शा वालों से ट्रांसफर होता है। कैब टैक्सी भी बंद होती हैं, तो भी बैक्टीरिया ट्रांसफर हो सकता है।