दुनियाभर में बड़ी संख्या में बच्चे डायबिटीज का शिकार हो रहे हैं। कई बार बच्चों में मां के पेट से ही ब्लड शुगर लेवल हाई पाया जाता है। डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे आपके पूरे शरीर को खोखला बना देती है। शरीर में ब्लड शुगर बढ़ने से दूसरे अंगों पर भी असर पड़ता है। इसीलिए डायबिटीज को साइलेंट किलर माना जाता है। 10 से 14 साल की उम्र के बच्चों में डायबिटीज तेजी से बढ़ने वाली बीमारी है। इसकी वजह माता पिता की कई आदतें और खराब लाइफस्टाइल को माना जा रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट से जानते हैं कि बच्चों में बढ़ती डायबिटीज के कारण क्या हैं और इसे कैसे कम किया जाए?
एक रिपोर्ट की मानें तो दुनियाभर में साल 1990 की तुलना में 2019 में 10 से 14 साल के बच्चों में करीब 52 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे डायबिटीज के शिकार हुए। वहीं 1 से 4 साल के बच्चों में करीब 30.52 प्रतिशत केस बढ़े हैं। दूसरे देशों के मुकाबले भारत में डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं।
बच्चों में डायबिटीज के कारण
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आर्टिफिशियल शुगर- शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी का कहना है आजकल माता पिता बच्चों के ऐसे ड्रिंक्स पिला रहे हैं जिसमें शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। बच्चों को पोषण देने के नाम पर दूध में मिलाकर पीने वाले पाउडर मोटापा और डायबिटीज की वजह बन रहे हैं।
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अनहेल्दी डाइट- शहरों में रहने वाले लोगों की लाइफस्टाइल काफी बदल रही है। इससे बच्चों की जीवन शैली में भी कई बदलाव हो रहे हैं। आजकल बच्चों को मीठे के नाम पर चॉकलेट, जंक फूड, अनहेल्दी स्नैक्स, हाई कैलोरी फूड खाने के लिए दिया जाता है। जिससे वजन बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ता है।
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फिजिकल एक्टिविटी कम- आजकल बच्चे दिनभर फोन और टीवी में लगे रहते हैं। जिससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो गई है। डिजिटल युग और शहरों में रहने वाले बच्चे पार्क या किसी दूसरी फिजिकल एक्टिविटी में कम शामिल होते हैं। जिससे शरीर पर मोटापा बढ़ता है और डायबिटीज का रिस्क बढ़ता है।
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आनुवंशिक कारण- बच्चों में डायबिटीज का कारण आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर किसी के माता-पिता को डायबिटीज है, तो बच्चे में भी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। आनुवंशिकता के कराण इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक हो जाती है।
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जागरूकता की कमी- भारत समेत कई देशों में आज भी मेडिकल सुविधाओं और बीमारियों को लेकर जागरुकता की कमी देखी जा रही है। कई बार माता-पिता को ये पता ही नहीं होता कि बच्चे में डायबिटीज के लक्षण नजर आ रहे हैं। समय पर सही ट्रीटमेंट नहीं मिलने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।