पैंक्रियाज कैंसर की शुरुआत पैंक्रियाज से होती है। पैंक्रियाज पेट का एक अंग है, जो पेट के पीछे की तरफ होता है। यह एंजाइम्स को रिलीज करता है, जो पाचन में मदद करते हैं। साथ ही ये शुगर को नियंत्रण में रखने के लिए जरूरी हार्मोन्स का उत्पादन करते हैं। हर साल हजारों लोग पैंक्रियाज कैंसर यानी अग्न्याशय कैंसर की चपेट में आकर अपनी जान गवा रहे हैं। इसकी मुख्य वजह इस बीमारी का समय पर न पता लगना माना जा रहा है। हम सभी जानते हैं कि कैंसर एक खतरनाक बीमारी है। यदि पहली या दूसरी स्टेज में इसका पता चल जाए, तो उपचार से इसे ठीक करने की संभावना अधिक होती है। लेकिन पैंक्रियाज कैंसर से ग्रसित ज्यादातर लोगों को इसके बारे में आखिरी स्टेज पर जाकर पता चलता है।
शोधकर्ताओं की मानें तो पैंक्रियाज अंग हमारे शरीर के काफी अंदर होता है, जिस वजह से इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। यही वजह है इस लेख में इसके लक्षण, कारण व बचाव के तरीकों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा कर रहे हैं।
पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण-Pancreatic Cancer symptoms
जैसा कि आपने जाना कि पैंक्रियाज कैंसर के ज्यादातर मामले आखिरी स्टेज पर जाकर सामने आते हैं। ऐसे में इसके लक्षणों की जानकारी होना जरूरी है। नीचे बिंदुवार तरीके से पैंक्रियाज कैंसर के लक्षण बता रहे हैं।
भूख न लगना
पीठ और पेट में दर्द होना
खाना निगलने में दिक्कत होना
लंबे समय तक दस्त या कब्ज की शिकायत बने रहना
लगातार वजन कम होते जाना
त्वचा का पीला पड़ना या आंखों के सफेद हिस्से का पीला होना (पीलिया के लक्षण)
हर समय थकान महसूस होना
मल का रंग हल्का होना
पेशाब का रंग गहरा होना
रक्त के थक्के बनना
त्वचा में खुजली होना
डायबिटीज बिगड़ना
उल्टी और जी मिचलाना
पैंक्रियाज कैंसर के कारण
मेडिकल न्यूज टूडे की रिपोर्ट के अनुसार, पैंक्रियाज कैंसर किन कारणों से होता है, इसे लेकर साफतौर से कुछ नहीं कहा जा सकता है। हालांकि, कुछ शोध में इसके जोखिम कारकों से जुड़ी जानकारी मिलती है, जिसके बारे में नीचे बता रहे हैं।
धूम्रपान करने वाले लोगों में इसके होने की आशंका अधिक होती है।
मोटापा भी इसके जोखिम कारकों में से एक है। मोटापा नहीं भी हो, लेकिन जिन लोगों के पेट पर चर्बी होती है, उनमें पैंक्रियाज कैंसर का जोखिम अधिक होता है।
ड्राई क्लीनर्स और मेटल वर्कर्स में इसकी संभावना होती है। क्योंकि इन कामों के दौरान ये लोग कुछ हानिकारक केमिकल के संपर्क में रहते हैं।
कुछ मामलों में टाइप 2 डायबिटीज को भी पैंक्रियाज कैंसर से जोड़कर देखा जाता है। यदि किसी का वजन व बीएमआई नियंत्रण में है और उसे डायबिटीज की शिकायत हुई है, तो यह भी पैंक्रियाज कैंसर का एक लक्षण हो सकता है।
अत्यधिक अल्कोहॉल का सेवन करने वाले लोगों में।
कुछ लोग अनुवांशिक कारणों से इसकी चपेट में आ सकते हैं।
45 साल की अधिक उम्र के लोगों में इसका जोखिम अधिक होता है।
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पैंक्रियाज कैंसर से बचाव कैसे किया जा सकता है-Prevention Tips
पैंक्रियाज कैंसर क्यों होता है, इसे लेकर कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इसके बचाव के लिए क्या करें, यह बता पाना थोड़ा मुश्किल होगा। हालांकि, इससे बचाव के लिए निम्नलिखित बातों का पालन करें।
स्मोकिंग से परहेज करें। यदि आप सिगरेट पीते व तंबाकू का सेवन करते हैं, तो उसे छोड़ने का प्रयास करें।
हेल्दी डाइट लेने के साथ नियमित रूप से एक्सरसाइज करें व वजन को नियंत्रण में रखें।
अल्कोहॉल का सेवन न करें।
डायबिटीज से बचें। यदि डायबिटीज है तो ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए जरूरी प्रयास करें।
यदि आपका काम ऐसा है, जिसमें आपको विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना पड़ता है, तो सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना न भूलें।