ऐसा माना जाता है कि चीनी या फिर आर्टिफिशियल स्वीटनर से बनी चीजें ही डाइबिटीज के रिस्क को बढ़ाती हैं मगर अब सामने आया है कि प्राकृतिक रूप से मीठे फल और फलों के जूस पीने से भी डाइबिटीज के मरीजों को खतरा है। डाइबिटीज केयर नाम के जर्नल में यह स्टडी छपी है। स्टडी में लिखा है सॉफ्ट ड्रिंक तो टाइप 2 डाइबिटीज के लिए नुकसानदायक है ही नेचुरली जो चीजें मीठी हैं वो भी नुकसान करती हैं और डाइबिटीज का खतरा उससे भी बढ़ता है। हार्वर्ड टी एच चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने बताया कि बिना चीनी वाली कॉफी या चाय का सेवन करके टाइप 2 डाइबीटीज के खतरे को 2 से 10 फीसदी तक कम किया जा सकता है।
टाइप 1 और टाइप 2 डाइबिटीज में अंतर
अक्सर आपने सुना होगा टाइप 1 और टाइप 2 डाइबिटीज के बारे में, लेकिन ये होती क्या है और इन दोनों में फर्क क्या है आइए समझते हैं। दरअसल टाइप 1 डायबिटीज में पैन्क्रियाज की बीटा कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं और इंसुलिन बनना कम हो जाता है या कभी कभी पूरी तर बंद हो जाता है। हालांकि इसे कंट्रोल किया जा सकता है। जबकि टाइप-2 डाइबिटीज में खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है जिसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है और इसमें शख्स की जान भी जा सकती है।
फलों के जूस का सेवन भी सीमित मात्रा में करें
स्टडी में पता चला है कि नैचुरल जूस में पोषक तत्व तो होते हैं मगर बेहद सीमित मात्रा में डाइबिटीज के पेशेंट्स को इनका सेवन करना चाहिए, क्योंकि स्टडी में ये साफ है कि इससे ब्लड शुगर बढ़ सकता है यानी कि टाइप 2 डाइबिटीज का खतरा इससे होता है।
कैसे करें ब्लड शुगर कंट्रोल
हर दिन एक्सरसाइज करें, जिसमें योग, एरोबिक, कार्डियो और वेट ट्रेनिंग शामिल हो
दिन में 8-10 गिलास पानी पिएं
वजन कंट्रोल में रखें, वरना बढ़े हुए वेट से भी टाइप 2 डाइबिटीज का खतरा होता है
सोडा, कोल्ड ड्रिंक और पैक्ड जूस से दूर रहें। फलों के जूस का भी सीमित मात्रा में ही सेवन करें।
फास्ट फूड, मसालेदार और ऑयली फूड से परहेज करें।
डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और बादाम-अखरोट आदि शामिल करें।
स्ट्रेस ना लें
धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें।
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