ठंड और उसके साथ बढ़ता प्रदूषण लोगों को बीमार बना रहा है। हर साल का यही हाल है। नवंबर से जनवरी-फरवरी तक दिल्ली एनसीआर और उसके साथपास के इलाकों में प्रदूषण की चादर बिछने लगती है। सिर्फ दिल्ली एनसीआर ही नहीं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई शहरों में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। दिल्ली और उससे सटे इलाकों में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। वायु प्रदूषण के कारण कई तरह के सांस संबंधी संक्रमण बढ़ जाते हैं। अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। ब्रोन्कियल अस्थमा और सीओपीडी के बिगड़ते मामले सामने आने लगते हैं।
वायु प्रदूषण सिर्फ हमारे फेफड़ों को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहा है। इससे कई दूसरी बीमारियां भी पैदा हो रही है। वायु प्रदूषण से अस्थमा के दौरे पड़ रहे हैं। कई बार बच्चों और बुजर्गों में अस्थमा के लक्षण बेहद गंभीर हो जाते हैं। डीजल वाले धुंए और तंबाकू के धुएं के संपर्क में रहने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है।
शरीर को अंदर से बीमार बना रहे हैं प्रदूषण
अपोलो क्लिनिक, मणिकोंडा के पल्मोनोलॉजी रेस्पिरेटरी मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. हितेश बिल्ला का कहना है कि ' वायु प्रदूषण न सिर्फ फेफड़ों को बल्कि कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को भी प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण के कारण हार्ट की बीमारियां बहुत आम हैं। इससे हाई ब्लड प्रेशर होता है, जो हार्ट अटैक का कारण बनता है। कोरोनरी सिंड्रोम, हार्ट बीट इरेगुलर होना, हार्ट फेल, स्ट्रोक और अचानक हार्ट डेड होने का खतरा बढ़ता है।
लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने के नुकसान
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तंत्रिका संबंधी समस्याएं- जब आप लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं तो इससे अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
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कॉग्नीटिवि समस्याएं- खासतौर से बच्चों में इसका प्रभाव दिमाग के विकास पर पड़ सकता है। इससे IQ कम हो सकता है और पढ़ाई पर भी असर देखा जा सकता है।
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प्रजनन क्षमता पर असर- वायु प्रदूषण में लंबे समय तक रहने से बांझपन, गर्भपात और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चे होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
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कैंसर का खतरा- बढ़ता वायु प्रदूषण कैंसर का बड़ा कारण है। प्रदूषण से ब्लैडर कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण से कैसे बचें
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प्रदूषण कम करने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करें। सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करें। क्लीनर फ्यूल का उपयोग करें।
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वायु प्रदूषण के असर को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं। हवा को पौधे नेचुरली क्लीन कर सकते हैं।
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उत्सर्जन को कम करने के लिए सौर और वाटर एनर्जी जैसे नए एनर्जी सोर्स का उपयोग करें और लोगों को इसके बारे में जागरुक करें।
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वायु प्रदूषण से बचने के लिए धुआं निकलने वाली चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें। धूल और गंदगी को साफ करते रहें।