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मां का दूध इन वजहों से बन सकता है बच्चे के लिए जहर, जानिए कब-कब नहीं कराना चाहिए स्तनपान

मां का दूध बच्चे के लिए अमृत समान होता है, लेकिन कुछ वजहें ऐसी होती हैं जब डॉक्टर खुद मां को मना करते हैं कि वो बच्चे को स्तनपान न कराएं, आइए जानते हैं वो कौन सी वजहें हैं?

Written By: Jyoti Jaiswal @@TheJyotiJaiswal
Published on: August 04, 2022 13:09 IST
मां का दूध कब बन जाता है बच्चे के लिए जहर- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV मां का दूध कब बन जाता है बच्चे के लिए जहर

Highlights

  • मां के दूध में प्रोटीन, विटामिन और फैट्स का सटीक मिश्रण होता है
  • मां के दूध में वो पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं

ब्रेस्टफीडिंग कराना बेहद जरूरी है, यह आपके शिशु के लिए संपूर्ण आहार होता है। बच्चे के जन्म से लेकर 6 महीने तक तो डॉक्टर सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं उन्हें पानी भी पिलाने से मना किया जाता है। अगर आपका बेबी प्रीमैच्योर पैदा हुआ है तब तो उसे ब्रेस्टफीडिंग कराना और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है, क्योंकि मां के दूध में वो पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे को बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। मां के दूध में प्रोटीन, विटामिन और फैट्स का सटीक मिश्रण होता है- यानी वह सब कुछ जो आपके शिशु की वृद्धि के लिए आवश्यक है। इसके अलावा मां के दूध में वह सारे आवश्यक एंटीबॉडी हैं, जो आपके शिशु को बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करते हैं, और अस्थमा व अन्य एलर्जी के खतरों को कम करते हैं। इतना ही नहीं, जिन शिशुओं को शुरुआती छह महीनों तक सिर्फ स्तनपान कराया जाता है, उन्हें सांस से जुड़ी बीमारियों, कान के संक्रमण और बार-बार दस्त लगने की समस्याओं का खतरा कम हो जाता है। 

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कब बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए मां का दूध

मशहूर गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर अर्चना धवन बजाज के मुताबिक वैसे तो मां का दूध बेहद जरूरी है, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं जब शिशुओं को मां का दूध नहीं पिलाना चाहिए। खासकर ऐसे समय जब मां कोई दवाएं ले रही हो।  इसके अलावा, स्तनपान को रोकने, बाधित करने या शुरू न करने का फैसला परिस्थितियों के अनुसार और डॉक्टर से पूछकर लिया जाना चाहिए। खासकर जब मां या शिशु की चिकित्सा स्थिति या अन्य जोखिमों की वजह से स्तनपान न कराने की स्थिति बन रही हो। कुछ ऐसी परिस्थितियां हैं जहां कुछ निश्चित दवाओं का सेवन कर रही या अन्य कारणों से मां को स्तनपान नहीं कराना चाहिए। यह परिस्थितियां इस प्रकार हैं-  

  • मां ब्रुसेलोसिस से पीड़ित है और उसका इलाज नहीं चल रहा है। उचित इलाज के बाद ही मां फिर से स्तनपान शुरू कर सकती है।
  • नई गर्भावस्था को रोकने या समाप्त करने के लिए मां कुछ दवाएं ले रही हैं। नई गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाओं में हार्मोनल गुण हो सकते हैं और इन दवाओं को लेने वाली मां के लिए स्तनपान कराना वर्जित है।  

बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो ये दवाएं न लें

Image Source : INDIA TV
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो ये दवाएं न लें

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  • मां खास एंटीबायोटिक/मिर्गी रोधी दवाएं ले रही हैं, जिन्हें नवजात शिशु के लिए असुरक्षित बताया गया है। जब मां इन दवाओं का सेवन बंद कर देती है तो वह फिर से स्तनपान शुरू कर सकती है।
  • मां को रेडियोपैक पदार्थ लगाकर डायग्नोस्टिक इमेजिंग किया गया है। एक बार शरीर से डाई पूरी तरह से निकलने के बाद ही मां स्तनपान फिर से शुरू कर सकती है।
  • मां को एक्टिव हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस संक्रमण (HSV) है, जिसके घाव स्तन पर भी हैं। अगर किसी स्तन पर घाव नहीं हैं तो उससे स्तनपान जारी रखा जा सकता है बशर्ते संक्रमित स्तन को संक्रमण से बचाने के लिए ठीक से ढका गया हो।  

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कुछ मामलों में माताओं को प्रत्यक्ष स्तनपान की अनुमति नहीं दी जाती है, लेकिन वह स्तन का दूध निकालकर शिशुओं को पिला सकती है। ऐसी स्थितियों में शामिल हैं:

  1. प्रसव से पांच दिन पहले या प्रसव के दो दिन बाद मां को यदि हर्पीज ज़ोस्टर या वैरीसेला संक्रमण हो जाता है। मां को सीधे स्तनपान नहीं कराना चाहिए, लेकिन वह स्तन से दूध निकालकर पिला सकती है।
  2. मां को एक्टिव तपेदिक है और उसका इलाज नहीं हुआ है। मां दो सप्ताह के उचित उपचार के बाद और जब यह पुष्टि हो चुकी है कि रोग संक्रामक नहीं है, तब वह स्तनपान फिर से शुरू कर सकती है। 

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इसके अलावा ऐसी अन्य स्थितियां भी हैं जहां माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराने या निकाले गए स्तन के दूध को पिलाने की बिल्कुल भी अनुमति नहीं है। इन परिस्थितियों में शामिल हैं:

  1. शिशु एब्सोल्यूट गैलेक्टोसिमिया टाइप 1 से पीड़ित है। यह बहुत ही दुर्लभ प्रकार का आनुवंशिक चयापचय रोग है, जिसमें शिशु में दूध पचाने के लिए आवश्यक एंजाइमों की कमी होती है।
  2. मां को सक्रिय या संदिग्ध इबोला वायरस रोग है।
  3. मां ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) / एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) से पीड़ित है।
  4. मां को कोकेन या फेनसाइक्लिडीन (पीसीपी) जैसे अवैध ड्रग्स की लत हो।

डॉक्टर अर्चना धवन बजाज के मुताबिक स्तनपान बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। स्तनपान करने वाले बच्चे न केवल बुद्धि परीक्षणों में बेहतर स्कोर करते हैं, बल्कि उनमें अधिक वजन या मोटापा होने की आशंका भी कम होती है। जीवन में बाद के चरणों में मधुमेह विकसित होने की संभावना भी कम हो जाती है। हालांकि, ऐसी स्थितियां भी हैं जहां मां या शिशु को उनके स्वास्थ्य की स्थितियों की वजह से स्तनपान न कराने की सलाह दी जाती है। नवजात शिशु के उचित विकास को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त स्तनपान सहायता अवश्य प्रदान की जानी चाहिए।

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