स्ट्रोक बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। दिमाग के एक हिस्से में जब खून का प्रवाह रुक जाता है या कम हो जाता है तो ऐसी स्थिति बनती है। कई बार खानपान की गलत आदतों और खराब लाइफस्टाइल की वजह से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में नसों में ब्लॉकेज होने लगती है और स्ट्रोक का खतरा पैदा होता है। रक्त वाहिकाओं के ज़रिए मस्तिष्क में बढ़ने वाली ब्लड सप्लाई बाधित हो जाती है और ऑक्सीजन पूरी तरह से नहीं मिल पाता है। इस स्थिति को मिनी स्ट्रोक या ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक कहते हैं। इस स्थिति में कुछ देर के लिए शरीर प्रभावित होता है हालांकि कई बार ये स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। जानिए क्या हैं मिनी स्ट्रोक के लक्षण?
मिनी स्ट्रोक किसे कहते हैं
मिनी स्ट्रोक यानि लकवा की स्थिति पैदा होना। ये कंडीशन थोड़ी देर के लिए होती है। जिसमें पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने में दिक्कत होती है, चेहरा टेढ़ा होने लगता है, हाथ पैर में कमज़ोरी या झंझनाहट महसूस होती है। बोलने और समझने में दिक्कत होती है। कई बार थोड़ी देर के लिए बेहोशी जैसे लक्षण महसूस होते हैं। अगर ये लक्षण कुछ देर के लिए महसूस हों और फिर ठीक हो जाएं तो इसे मिनी स्ट्रोक कहा जाता है। हालांकि मिनी स्ट्रोक को आने वाले बड़े स्ट्रोक की चेतावनी माना जाता है। इसलिए समय पर इसका इलाज करवा लेना चाहिए।
मिनी स्ट्रोक के लक्षण
- चलने फिरने में लड़खड़ाना- मिनी स्ट्रोक आने पर पीड़ित व्यक्ति को चलने फिरने में दिक्कत होती है। ऐसे में पीड़ित चलने में एकदम लड़खड़ाने लगता है और वो खुद से चलने में असमर्थ होता है।
- चेहरे में टेढ़ापन- जब दिमाग के एक हिस्से में खून पहुंचना बंद हो जाता है तो स्ट्रोक की समस्या बढ़ने लगती है। ऐसी स्थिति में चेहरे में टेढ़ापन आने लगता है। कई बार चेहरे को हिलाने में भी दिक्कत होती है। चेहरे में अगर असमानता दिखें तो तुरंत इलाज कराएं।
- हाथों और पैरों में झंझनाहट- मिनी स्ट्रोक में पीड़ित व्यक्ति को हाथ-पैरों में झनझनाहट होती है। पकड़ कमज़ोर हो जाती है और चक्कर खाकर गिर सकता है। शरीर में कमजोरी और संतुलन बनाने में दिक्कत होती है।
- बोलने में परेशानी- स्ट्रोक की वजह से बोलने में भी दिक्कत होती है। पीड़ित व्यक्ति चाहकर भी नहीं बोल पाता। आवाज में अस्पष्टता आने लगती है। धीमी आवाज में बोलते है और वाणी में अस्पष्टता बढ़ जाती है।
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