आने वाले कुछ सालों में कुदरत की सारी खूबसूरती तस्वीरों में ही सिमटकर रह जाएगी। क्योंकि धरती की हरियाली खत्म हो रही है कूड़े के ढेर पहाड़ों में तब्दील हो रहे हैं और इसमें बड़ी भागीदारी सिगरेट-तंबाकू लेने वालों की भी है। जी हां, CMR और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च की एक बेहद चौंकाने वाली स्टडी आई है जिसके मुताबिक एक साल में तंबाकू प्रोडक्ट से जितना एल्यूमीनियम कचरा निकलता है। उससे 33 बोइंग 747 प्लेन बनाए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, सिगरेट और दूसरे टोबैको प्रोडक्ट की पैकिंग के लिए जो कागज इस्तेमाल होता है। उसके लिए हर साल 22 लाख पेड़ काटे जाते हैं और तो और सिगरेट-गुटखा की पैकिंग से जो प्लास्टिक कचरा निकलता है उससे करीब 8 करोड़ प्लास्टिक की बड़ी बाल्टी बनाई जा सकती है। ये नुकसान तो सिर्फ टोबैको प्रोडक्ट को बनाने से है, जबकि इसकी आदत लगने से शरीर पर होने वाला नुकसान अलग है।
देश में हर साल करीब 13 लाख लोगों की मौत तंबाकू के इस्तेमाल से होती है। इसमें मौजूद निकोटिन ब्लड में मिलकर ब्रेन डैमेज करता है। कुछ ही मिनटों के अंदर ब्लड प्रेशर को नॉर्मल से 20% बढ़ाकर दिल की बीमारी देता है। एक सिगरेट में कैंसर वाले 4000 केमिकल होते हैं, जो जिंदगी के 11 मिनट कम कर देते हैं। फिलहाल देश में करीब 12 करोड़ स्मोकर्स हैं तो वहीं तंबाकू चबाने वालों में भारत दूसरे नंबर पर है देश में करीब 26 करोड़ लोग टोबैको एडिक्ट है। कहने का मतलब ये कि 33 बोइंग विमान के बराबर एल्यूमीनियम, कागज-प्लास्टिक का कचरा और फिर बीमारी से हो रही मौत की भयानक हकीकत को समझिए और आपको भी नशे की आदत है तो अपने लिए, अपने परिवार के लिए आज ही इसे छोड़ने का संकल्प लीजिए और योग गुरु स्वामी रामदेव इसमें आपकी मदद करेंगे।
भारत में नशे का बढ़ता जाल
- 40 करोड़ लोग तंबाकू के आदी
- 25 करोड़ लोग ड्रग्स के शिकार
- 10 साल में दोगुना शराब consumption
सिगरेट का कश - जिदंगी ना करे कम
- हार्ट डिजीज
- लंग्स डिजीज
- कैंसर
- हाई बीपी
- एसिडिटी
- फूड पाइप इंफेक्शन
स्मोकिंग के खतरे
- लंग्स कैंसर का खतरा 30% ज्यादा
- हार्ट डिजीज का खतरा 20% ज्यादा
- 20% हार्ट मरीज पैसिव स्मोकर
नशा छुड़ाने में कारगर - अजवाइन अर्क
- 250 ग्राम अजवाइन
- 1 लीटर पानी में पकाएं
- खाने के बाद अर्क पीएं
नशा छुड़ाने में कारगर
- खसखस
- मखाना
- केसर
- हींग
- मेथी
- हरड़
- छुहारा
- अजवाइन