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ये खबर पढ़ लेंगे तो आज से प्लास्टिक की बोतल में पानी पीना बंद कर देंगे

प्लास्टिक मॉडर्न लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुका है, आजकल जहां देखो प्लास्टिक नज़र आता है, किचन के डब्बे हों, या बाज़ार में बिकने वाली पानी की बोतल। खाने की पैकिंग हो या सामान लाने वाले पॉलिथिन। कप, प्लेट, स्ट्रॉ हर चीज़ पर प्लास्टिक का कब्ज़ा है। 

Edited by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Published on: April 06, 2022 12:37 IST
microplastic particles is harming heart kidney liver plastic in body - India TV Hindi
Image Source : PIXABAY प्लास्टिक वॉटर बॉटल

Highlights

  • प्लास्टिक के कण अब खून में मिलकर गंभीर बीमारियां दे रहे हैं
  • शरीर में प्लास्टिक मिलने से कैंसर, हार्ट फेल का खतरा बढ़ गया है

अब तक आपने यही सुना होगा कि कण-कण में ईश्वर का वास है। वो हमारे अंदर भी है और बाहर भी, लेकिन अब एक स्टडी बता रही है कि डेली यूज़ में इस्तेमाल होने वाली प्लास्टिक भी हर जगह मौजूद है, हमारे अंदर भी और बाहर भी, बड़े साइज़ में भी और छोटे रुप में भी। ये स्टडी नीदरलैंड यूनिवर्सिटी ने की है, जिसके मुताबिक अब इंसान के ब्लड में भी माइक्रोप्लास्टिक कचरा पहुंच गया है, रिसर्च में 80% लोगों के खून और किडनी में प्लास्टिक के कण मिले हैं।

शरीर में कैसे पहुंचता है प्लास्टिक?

ये प्लास्टिक शरीर में पहुंचा कैसे पहले ये समझिए, दरअसल माइक्रो प्लास्टिक के कण हवा में भी तैरते रहते हैं जो सांस लेने पर शरीर के अंदर घुसकर खून में मिल जाते हैं और दिल तक पहुंच जाते हैं। ये कण प्लास्टिक बोतल से पानी पीने और पैक्ड खाने के साथ साथ कई बार बारिश के ज़रिए भी पीने के पानी में मिलकर बॉडी में एंट्री कर जाते हैं। रिसर्च के आंकड़े कहते हैं कि हर हफ्ते 2 हज़ार तो पूरे साल में एक लाख 4 हज़ार कण शरीर के अंदर घुस जाते हैं, जो ह्यूमेन सेल्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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प्लास्टिक मॉडर्न लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुका है, आजकल जहां देखो प्लास्टिक नज़र आता है, किचन के डब्बे हों, या बाज़ार में बिकने वाली पानी की बोतल। खाने की पैकिंग हो या सामान लाने वाले पॉलिथिन। कप, प्लेट, स्ट्रॉ हर चीज़ पर प्लास्टिक का कब्ज़ा है। यहां तक कि समंदर से निकलने वाले कचरे में भी सबसे ज़्यादा प्लास्टिक ही होता है। भारत सरकार प्लास्टिक पॉल्यूशन से लोगों को बचाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। ढाई साल पहले सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन भी लगा चुकी है, इसके बावजूद लोग प्लास्टिक से दूरी नहीं बना रहे हैं।

अब प्लास्टिक को लेकर एक ताज़ा रिसर्च सामने आई है, जिससे ऐसे लोगों को सावधान हो जाना चाहिए।  नीदरलैंड यूनिवर्सिटी की स्टडी के नतीजे चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक अब इंसान के ब्लड में भी माइक्रोप्लास्टिक कचरा पहुंच गया है। रिसर्च में शामिल लोगों में 80% के खून और किडनी में प्लास्टिक के कण मिले।

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शरीर को अंदर से खोखला कर रहा है प्लास्टिक

रिसर्च के मुताबिक हर हफ्ते 2 हज़ार तो पूरे साल में तकरीबन एक लाख से ज़्यादा पार्टिकलस शरीर में घुसकर ह्यूमेन सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। ये माइक्रोप्लास्टिक एक तरफ हार्ट के ब्लड वेसेल्स को जाम करते हैं, तो दूसरी तरफ किडनी के नेफ्रॉन को नुकसान पहुंचाते हैं। नतीजा हार्ट अटैक और किडनी फेलियर का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। जाहिर है रिसर्चर हेल्थ पर पड़ने वाले इसके असर को लेकर परेशान हैं। देश में पहले ही दिल के मरीज़ों की गिनती दुनिया में सबसे ज़्यादा है, पिछले 28 साल में हार्ट डिज़ीज़ से मौतों का आंकड़ा 34 फीसदी बढ़ा है। जिस प्लास्टिक का इस्तेमाल आप अपनी लाइफ स्टाइल को आसान बनाने के लिए कर रहे हैं, वहीं प्लास्टिक आपको अनजाने में लाइफ स्टाइल की बीमारियां दे रहा है। 

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प्लास्टिक क्यों है जानलेवा ? 

  1. बिस्फेनॉल-ए कैमिकल से कैंसर का खतरा
  2. खून में मिलने से हार्ट अटैक के चांस
  3. हाई बीपी का डर
  4. लिवर और किडनी पर भी असर

किसमें कितना प्लास्टिक

  1. प्लास्टिक बोतल में 94 कण प्रति लीटर
  2. चीनी में 0.44 कण प्रति ग्राम
  3. पानी के नल में 4 कण प्रति ग्राम
  4. हवा में 9 कण प्रति मीटर क्यूब

इस रिसर्च से ये तो साफ है कि हर जगह प्लास्टिक ही प्लास्टिक है, जाने अनजाने हम हर साल लाखों पार्टिकल्स प्लास्टिक के कन्ज्यूम करते हैं, लेकिन आप इतना जरूर कर सकते हैं, कि जितना हो सके, प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम करें। 

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उपाय

  1. प्लास्टिक की बोतल की जगह कांच या स्टील की बोतल इस्तेमाल करें
  2. खाना रखने के लिए स्टील का टिफिन इस्तेमाल करें
  3. बाजार जाएं तो घर से ही कपड़े का बैग लेकर जाएं
  4. ऐसे प्लास्टिक के इस्तेमाल से बचें जो सिंगल यूज प्लास्टिक हों, जैसे सिंगल यूज होने वाली पेन, डिस्पोजल गिलास, स्ट्रॉ आदि।
  5. बच्चों के लिए प्लास्टिक की जगह लकड़ी के खिलौने लें

अगर आप इन छोटी छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो ना सिर्फ पर्यावरण की रक्षा करेंगे बल्कि शरीर को भी गंभीर रोगों से बचा सकेंगे।

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