जैसे महिलाओं में मासिक धर्म यानी पीरियड्स का एक समय होता है वैसे ही उम्र बढ़ने के बाद मेनोपॉज का दौर भी आता है जो महिलाओं के अपेक्षाकृत ज्यादा कष्टकारी होता है। शारीरिक तौर पर भले ही ये ज्यादा कष्ट न देता हो लेकिन कई दूसरे प्रभाव डालता है जिसके चलते मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बड़ा असर पड़ता है। यूं तो भारत में महिलाओं में रजोनिवृत्ति की उम्र आम तौर पर 45-50 के बीच मानी जाती है। लेकिन कई मामलों में यह 40 साल में भी होता है।
मेनोपॉज तीन चरणों में आते हैं - प्रीमेनोपॉज, मेनोपॉज़ और पॉस्टमेनोपॉज़। मेनोपॉज के शुरूआती दौर में शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन की कमी होने लगती है।
मेनोपॉज के लक्षण
- मूड स्विंग की शिकायत जैसे बात बात में रुलाई फूटना, गुस्सा आना, खुद को कमजोर समझना
- एकाएक वजन बढ़ना
- योनि में सूखापन
- चिड़चिड़ाहट महसूस करना
- बेचैनी महसूस करना
- अचानक बुखार वाली गर्मी महसूस करना
- दिल की धड़कनों का तेज होना
- बालों का झड़ना
- मांसपेशियों में दर्द
- रात को पसीना आना
- नींद न आना
- ठंड लगना, एकाएक ठंड का अहसास होना
- सिर दर्द
क्या करें -
मेनोपॉज स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसे नकारा नहीं जा सकता। लेकिन इसके लिए पर्याप्त तैयारी की जा सकती है।
- अपनी डाइट में बदलाव करें,फाइबर युक्त भोजन करें
- योगा मेडिटेशन का सहारा लें।
- खुद को बिजी रखने की कोशिश करें
- धूम्रपान औऱ अल्कोहल का प्रयोग ना करें
- तनाव से बचने के लिए एरोबिक्स का सहारा ले सकते हैं
- परिवार के सदस्यों के संग समय बिताएं
- आउटिंग पर जा सकते हैं
- अगर मानसिक तनाव ज्यादा होता है तो मनोचिकित्सक की सलाह लें।