Friday, November 22, 2024
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प्रेगनेंसी में कोरोना वैक्सीन लेने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं में दीर्घकालिक एंटीबॉडीज पाई गई: शोध

एडलो ने कहा, यहां एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाती है कि टीकाकरण न केवल माताओं के लिए स्थायी सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि एंटीबॉडी कम से कम छह महीने की उम्र तक अधिकांश शिशुओं में बनी रहती है।

Written by: India TV Health Desk
Updated on: February 09, 2022 14:14 IST
corona vaccine - India TV Hindi
Image Source : FREEPIK corona vaccine 

Highlights

  • छह महीनों में, शोधकर्ताओं ने टीकाकृत माताओं के उन 28 शिशुओं की जांच में पाया कि 57 प्रतिशत (28 में से 16) में अभी भी काफी मात
  • कई अध्ययनों से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं को कोविड से गंभीर जटिलताएं होने का अत्यधिक जोखिम होता है।

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक शोध में पता लगाया है कि गर्भावस्था के दौरोना कोरोना वैक्सीन लेने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं में काफी लंबे समय तक रहने वाली एंटीबॉडीज देखी गई हैं जो बिना वैक्सीन लगवाने वाली या कोरोना संक्रमित महिलाओं के जन्में नवजात शिशुओं की तुलना में ज्यादा हैं।

मैसाच्यूसेट्स जनरल अस्पताल में किए गए शोध में पाया गया है कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था में कोरोना वैक्सीन लगवाई थी उनमें प्रसव के समय शरीर में तथा गर्भनाल में एंटीबाडीज की मात्रा कोविड संक्रमित माताओं की तुलना में काफी अधिक पाई गई थी। वैक्सीन लेने वाली महिलाओं के 98 प्रतिशत नवजात शिशुओं (49 में से 48 में ) दो माह बाद एंटीबॉडीज-इम्युनोग्लोबुलिन जी का स्तर बहुत अधिक देखा गया था।

छह महीनों में, शोधकर्ताओं ने टीकाकृत माताओं के उन 28 शिशुओं की जांच में पाया कि 57 प्रतिशत (28 में से 16) में अभी भी काफी मात्रा में आईजीजी था। इसकी तुलना में कोविड संकमित माताओं से पैदा हुए 12 में से एक में ही इस तरह के एंटीबाडीज पाए गए थे।

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एमजीएच में मातृ-भ्रूण चिकित्सा विशेषज्ञ एंड्रिया एडलो ने कहा, हालांकि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि एक शिशु को कोविड से पूरी तरह से बचाने के लिए एंटीबाडीज को कितना अधिक होना चाहिए, लेकिन हम जानते हैं कि आईजीजी का बढ़ा हुआ स्तर गंभीर बीमारी से सुरक्षा के साथ संबंधित है।

एडलो ने कहा, यहां एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाती है कि टीकाकरण न केवल माताओं के लिए स्थायी सुरक्षा प्रदान करता है बल्कि एंटीबॉडी कम से कम छह महीने की उम्र तक अधिकांश शिशुओं में बनी रहती है।

द जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित अध्ययन में उन महिलाओं को शामिल किया गया था जिन्हें एमआरएनए वैक्सीन के दो टीके लगाए गए थे या 20 से 32 सप्ताह के गर्भ के दौरान कोरोना संक्रमित थी । कई अध्ययनों से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं को कोविड से गंभीर जटिलताएं होने का अत्यधिक जोखिम होता है।

उताह विश्वविद्यालय में प्रसूति रोग विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि कोविड से संक्रमित गर्भवती महिलाओं में गंभीर जटिलताएं विकसित होने या गर्भावस्था के दौरान मरने की आशंका उन महिलाओें की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत अधिक होती है जो वायरस से संक्रमित नहीं होती हैं।

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यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के नेतृत्व में किए गए एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि मध्यम से गंभीर कोविड संक्रमण वाली गर्भवती महिलाओं में सिजेरियन डिलीवरी होने, समय से पहले प्रसव, जन्म के समय मरने या गर्भावस्था के उच्च रक्तचाप से ग्रस्त विकारों से गंभीर बीमारी से ग्रसित होने का जोखिम ज्यादा देखा गया है।

एमजीएच, एमआईटी और हार्वर्ड के रैगन इंस्टीट्यूट के गैलिट ऑल्टर के अनुसार, शिशुओं के लिए कोविड टीकों के अंतराल को देखते हुए ऐसी माताओं को टीकाकरण के लिए प्रेरित करना चाहिए और यहां तक कि गर्भावस्था के दौरान अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें बूस्टर डोज के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए।

इनपुट - आईएएनएस

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