अक्सर पेट से जुड़ी परेशानियों को हम छोटा समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन मामूली लगने वाली कब्ज और गैस्ट्रो प्रॉब्लम कब गंभीर बीमारी की शक्ल ले लेती है पता ही नहीं चलता है। स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी ने हाल ही में दुनिया के 33 देशों के 73 हजार लोगों पर स्टडी की है, जिसके मुताबिक 37 परसेंट पुरुष और 49 परसेंट महिलाएं पेट की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। स्टडी से पता चला कि गंभीर बीमारी से पहले कुछ लोगों की आंते ठीक से काम नहीं कर रही थी तो कुछ लोग कॉन्स्टिपेशन, पेट में भारीपन, जलन, डायरिया, थकान, जीभ में कड़वाहट जैसी मामूली दिक्कतें महसूस कर रहे थे। इतना ही नहीं कोरोना की दूसरी लहर में रिकवरी के बाद जिस तरह फंगल इंफेक्शन ने परेशान किया, उसी तरह थर्ड वेव में रिकवरी के बाद 30 प्रतिशत लोग पेट से जुड़ी परेशानियों की शिकायत कर रहे हैं। इनमें से बहुत से लोग हेल्दी डायट के बावजूद थकान-कमजोरी महसूस कर रहे हैं।
डॉक्टर्स इसकी वजह भी खराब डाइजेशन मानते हैं। आपको जानकर हैरत होगी कि इन डायजेशन की मामूली प्रॉब्लम को वक्त रहते अटेंशन ना दी जाए तो बाद में वो क्रोनिक, अल्सरेटिव, कोलाइटिस, IBSऔर यहां तक कि कोलन कैंसर में भी तब्दील हो सकती हैं। स्वामी रामदेव ने पेट से संबंधित समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए योग द्वारा कुछ पाचन फॉर्मूला बताए हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार अगर कोई इसे रोजाना करें तो उसकी पेट से संबंधित सभी बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा।
पेट संबंधी रोगों के लिए योगासन-
मंडूकासन- इस आसन को आधा से 1 मिनट करें। इससे आप कब्ज, एसिडिटी की समस्या से निजात मिलेगा।
शशकाशन- इस आसन को करने से पेट संबंधी हर समस्या से निजात मिलता है।
उत्थित पद्मासन- इस आसन को करने से कंधों और छाती को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही ब्लड सर्कुलेशन ठीक ढंग से होता है। इसके अलावा पेट संबंधी हर रोगों के लिए अच्छा।
योग मुद्रासन- इस आसन को करने से शरीर में स्फूर्ति आती है। इसके साथ ही पेट के लिए फायदेमंद।
अर्ध मत्स्येंद्रासन आसन- दिल उत्तेजित करने तनाव से निजात दिलाने के साथ पेट को रखें शांत।
वक्रासन- अगर अर्ध मत्स्येंद्रासन आसन नहीं कर पा रहे हैं तो आप व्रकासन कर सकते हैं।
गौमुख आसन- गैस्टिक सही हो जाता है। इसके साथ ही हाी ब्लड प्रेशर और हार्ट के लिए भी फायदेमंद।
पवनमुक्तासन- दुर्बलता खत्म होती है। पेट का भारीपन, कब्ज वायुवकार में फायदेमंद।
उत्तान पद्मासन- यह आसन पेट के साथ-साथ पूरे शरीर को दें लाभ।
नौकासन- इस आसन को आधा से 1 मिनट करें। करते-करते ही आपको एसिडिटी, कब्ज में लाभ मिलेगा।
पांदागुष्ठासन- एसिडिटी, कब्ज के साथ पेट संबंधी हर समस्या से दिलाए निजात।
सेतुबंध आसन- अपच, एसिडिटी, कब्ज में फायदेमंद। इसके साथ ही पीठ की मांसपेशियों को करें मजबूत।
शशकासन के फायदे
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डायबिटीज दूर होती है
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तनाव और चिंता दूर होती है
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क्रोध, चिड़चिड़ापन दूर करता है
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मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है
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लिवर, किडनी के रोग दूर होते हैं
मंडूकासन के फायदे
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डायबिटीज को दूर करता है
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पेट और दिल के लिए भी लाभकारी
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पाचन तंत्र सही होता है
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लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है
योगमुद्रासन के फायदे
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कब्ज की समस्या दूर होती है
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गैस से छुटकारा मिलता है
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पाचन की परेशानी दूर होती है
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छोटी-बड़ी आंते सक्रिय होती है
वक्रासन के फायदे
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पेट पर पड़ने वाला दबाव फायदेमंद
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कैंसर की रोकथाम में कारगर
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पेट की कई बीमारियों में राहत
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पाचन क्रिया ठीक रहती है
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कब्ज ठीक होती है
गोमुखासन के फायदे
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फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है
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पीठ, बांहों को मजबूत बनाता है
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शरीर को लचकदार बनाता है
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सीने को चौड़ा करने में सहायक
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शरीर के पॉश्चर को सुधारता है
वज्रासन के फायदे
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रीढ़ की हड्डी और कंधे सीधे होते हैं
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पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं
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हार्ट के लिए फायदेमंद
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पेट के लिए बेहद कारगर आसन
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ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है
पवनमुक्तासन के फायदे
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फेफड़े स्वस्थ और मजबूत रहते हैं
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अस्थमा, साइनस में लाभकारी
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किडनी को स्वस्थ रखता है
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बीपी को कंट्रोल करता है
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पेट की चर्बी को दूर करता है
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मोटापा कम करने में मददगार है
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दिल को सेहतमंद रखता है
उत्तानपादासन के फायदे
- शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद
- पैरों के दर्द में आराम मिलता है
- पैरों में सूजन दूर होती है
सर्वांगासन के फायदे
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एकाग्रता बढ़ाता है
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तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है
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सिरदर्द ठीक करता है
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याद की हुई चीजें भूलते नहीं हैं
हलासन के फायदे
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दिमाग शांत होता है
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थायराइड की बीमारी ठीक होती है
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स्ट्रेस और थकान मिटाता है
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रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आता है
प्राणायाम भी होंगे फायदेमंद-
अनुलोम विलोम-
-सबसे पहले आराम से बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। ध्यान रहे कि इस मुद्रा में आपकी रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए।
-अब बाएं हाथ की हथेली को ज्ञान की मुद्रा में बाएं घुटने पर रखें।
-इसके बाद दाएं हाथ की अनामिका यानि कि हाथ की सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नथुना पर रखें। अब अंगूठे को दाएं वाले नथुना पर लगा लें। इसके बाद तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें।
-अब बाएं नथुना से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। फौरन ही दाएं नथुना से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें।
-अब दाएं नथुना से सांस भरें और अंगूठे से उसे बंद कर दें। इस सांस को बाएं नथुना से बाहर निकाल दें। अनुलोम विलोम का यह पूरा एक राउंड हुआ। इसी तरह के कम से कम 5 बार ऐसा करें।