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ट्रांजियंट इस्केमिक अटैक का लोग हो रहे शिकार? बाबा रामदेव से जानें कैसे पाएं इससे छुटकारा

स्टडी के मुताबिक, 'ट्रांजियंट इस्केमिक अटैक' आने के तीन महीन के अंदर, हर पांच में से एक शख्स को जानलेवा स्ट्रोक आ सकता है। इसका खतरा देश के 41 परसेंट लोगों पर मंडरा रहा है।

Written By: Anita Sharma @AnitasharmaB
Published : Feb 23, 2023 8:32 IST, Updated : Feb 23, 2023 8:32 IST
Transient Ischemic Disease
Image Source : FREEPIK Transient Ischemic Disease

ट्रांजियंट इस्केमिक अटैक, ये मुसीबत का नया नाम है। जिसका खतरा देश के 41 परसेंट लोगों पर मंडरा रहा है। आप सोच रहे होंगे कि ये नई बला क्या है, तो जान लीजिए- ये ब्रेन स्ट्रोक का शॉर्टर वर्जन है। मतलब स्ट्रोक आता तो है, लेकिन लक्षण एक घंटे के अंदर खत्म भी हो जाते हैं। इसे आप इस तरह समझिए, किसी शख्स को अचानक से चक्कर आने लगे। कुछ बोलना चाह रहा हो लेकिन बोलने में दिक्कत हो अचानक से शरीर के एक हिस्से में नंबनेस महसूस होने लगे, धुंधला दिखने लगे, चलने में दिक्कत आए, चेहरा लटकने लगे, कमजोरी महसूस हो और फिर अचानक से ये लक्षण गायब हो जाएं। वो भी बिना किसी दवा के, बिना किसी थेरेपी के और तो और पेशेंट को कोई नुकसान भी ना हो तो समझ जाइए। ये कुछ वक्त के लिए आने वाला स्ट्रोक अटैक यानि मिनी स्ट्रोक है और इसमें ट्विस्ट ये है कि बेशक ये शरीर पर कोई निशान छोड़कर नहीं जाता। लेकिन ये चेतावनी है कि वो जल्दी वापस आएगा, वो भी जानलेवा स्ट्रोक के साथ। 

स्टडी के मुताबिक--'ट्रांजियंट इस्कीमिक अटैक' आने के तीन महीन के अंदर, हर पांच में से एक शख्स को जानलेवा स्ट्रोक आ सकता है। अब समझने वाली बात ये है कि इसकी वजह क्या है, तो जो सबसे बड़ी वजह है वो है सर्कुलेटरी सिस्टम यानि नसों की परेशानी और ये दिक्कत आती है लेस फिजिकल एक्टिविटी से। WHO के आंकड़े कहते हैं भारत में 11 साल से 17 साल के 74% बच्चे हर दिन 20 मिनट भी फिजिकल एक्टिविटी नहीं करते तो वहीं 18 से 70 साल के 35% लोग एक्टिव नहीं हैं। नतीजा नसें कमजोर हो रही हैं जिसका असर ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है। ब्रेन में प्रॉपर ब्लड फ्लो नहीं हो पाता और फिर स्ट्रोक। हार्ट अटैक, ओबेसिटी, डायबिटीज, वैरिकोज वेन्स जैसी बीमारियां जन्म लेती हैं। मतलब ये कि तमाम परेशानियों को हम खुद बुलाते हैं, लेकिन इन्हें आने से रोक भी सकते हैं। बस करना ये है कि हर रोज 30 मिनट हमारे साथ योगाभ्यास करें।

नसों की बीमारी - वजह

  1. घंटों बैठकर काम
  2. लगातार खड़े रहना 
  3. बढ़ती उम्र 
  4. मोटापा 
  5. नो फिजि़कल एक्टिविटी
  6. फैमिली हिस्ट्री
  7. हार्मोनल चेंजेज

वैरिकोज की समस्या - खतरे में महिलाएं

  1. हाइपर टेंशन - गलत पॉश्चर
  2. हाई हील्स - खड़े रहकर काम
  3. प्रेगनेंसी - पेल्विक एरिया में फैट

वैरिकोज़ के लक्षण?

  1. नीली नसें
  2. नसों का गुच्छा 
  3. पैरों में सूजन 
  4. मसल्स में ऐंठन 
  5. स्किन पर अल्सर

नर्व्स के लिए रामबाण - घरेलू नुस्खे 

  1. एप्पल विनेगर से मसाज
  2. जैतून के तेल से मालिश 
  3. बर्फ से नसों पर मसाज

नर्व्स बनेंगे मजबूत 

  1. गिलोय 
  2. अश्वगंधा
  3. गुग्गुल
  4. गोखरू 
  5. पुनर्नवा

नसों का रखें ख्याल

  1. वज़न  कंट्रोल
  2. कम नमक 
  3. कम चीनी
  4. टाइट कपड़े ना पहने

नसों पर लगाएं

  1. अदरक पेस्ट
  2. पिपली पेस्ट 
  3. जायफल पेस्ट

नसों के लिए फायदेमंद

  1. लौकी 
  2. नींबू
  3. संतरा
  4. छाछ-लस्सी
  5. मिक्स दालें

नसों में कारगर - मिट्टी के लेप

  1. मुल्तानी मिट्टी 
  2. एलोवेरा
  3. हल्दी
  4. कपूर
  5. नीम
  6. गुग्गुल

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