कोरोना की दूसरी लहर का कहर पूरी दुनिया के साथ साथ देश पर भी टूटा है। कई राज्यों में कोरोना का भयावहता के चलते ऑक्सीजन और अस्पतालों की कमी हो गई है। कोरोना के मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है और उसका ऑक्सीजन लेवल भी कम हो जाता है। हालांकि हर मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम नहीं होता लेकिन जिस कोरोना मरीज का ऑक्सीजन लेवल ज्यादा कम हो रहा है उसे अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है और ऐसे में अस्पतालों में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
हालांकि कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें घर पर ही आइसोलेट करके स्वस्थ किया जा सकता है।कोरोना के हर मरीज को अस्पताल में एडमिट कराने की जरूरत नहीं है। इसे कैसे जाना जा सकता है, जवाब है ऑक्सीजन का लेवल जानकर।
डॉक्टर कहते हैं कि आमतौर पर अगर ऑक्सीजन का लेवल 90 से ऊपर है तो कृत्रिम ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती। यानी कि अगर कोरोना मरीज का ऑक्सीजन लेवल 90 से ऊपर है तो उसका घर पर ही इलाज किया जा सकता है।
जिन मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे है, उन्हें ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती किए जाने की जरूरत है। 90 से नीचे ऑक्सीजन का संकेत है कि अब मरीज को आपात रूप से डॉक्टरी देख रेख की जरूरत है।
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ऑक्सीजन लेवल नापने के लिए सबसे सटीक है ऑक्सीमीटर। ऑक्सीमीटर नामक ये डिवाइस कैमिस्ट से लेकर अस्पतालों में भी उपलब्ध है। यह हाथ की उंगली में लगाया जाता है औऱ इसके जरिए खून में ऑक्सीजन की मात्रा का पता चलता रहता है। कोरोना काल में ऑक्सीमीटर का उपयोग घर घर में किया जाने लगा है औऱ घर पर ही कोरोना का इलाज कर रहे लोगों के लिए ये बेहद जरूरी चीज है।