इन दिनों बहुत से लोग रात रात भर जागते रहते हैं और ज़्यादतर समय हाथ में मोबाइल लेकर सोशल मीडिया को स्क्रॉल करते हैं। ऐसे में उन्हें ये आभास ही नहीं होता की उन्हें ढंग से नींद नहीं आ रही है। धीरे धीरे ये परेशानी एक बड़ी गंभीर बीमारी का जन्म लेती है जिसे इंसोमनिया कहते हैं। इन्सोमनिया एक स्लीपिंग डिसऑर्डर है, इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को जल्दी नींद नहीं आती है या बीच में कई बार उनकी नींद टूट जाती है। यानी रात को नींद न आने की समस्या को ही इंसोमनिया कहा जाता है। रातभर जागने, नींद न आने या इंसोमनिया की समस्या दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। ये समस्या ज़्यादातर वर्क प्रेशर बहुत गहरा,अवसाद, फिजिकल एक्टिविटी में कमी, चिंता, इन कारणों से होती है। अगर किसी भी इंसान पर अनिद्रा ज्यादा दिनों तक हावी हो जाए, तो पीड़ित कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का शिकार हो सकता है, तो आइए आज हम आपको बताते हैं अनिद्रा के लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में।
इंसोमनिया के लक्षण
- सोने में परेशानी
- रात के समय जागना
- कम समय के लिए ही सोना
- दिन भर बेचैनी
- दिन में नींद आना
- सोने से पहले चिंता और तनाव
- चिड़चिड़ापन
- डिप्रेशन
इंसोमनिया के दो प्रकार होते हैं पहला प्राइमरी इंसोमनिया दूसरा सेकेंडरी इंसोमनिया। प्राइमरी इंसोमनिया में नींद ना आने की समस्या किसी शारीरिक बीमारी से नहीं जुड़ा होता है। लेकिन सेकेंडरी इंसोमनिया में नींद ना आने की वजह आपकी सेहत से जुड़ी होती है। जैसे अस्थमा, केंसर, डिप्रेशन और अर्थराइटिस।
ये हैं बचाव के उपाय
- खूब एक्सरसाइज करें: जब आपका शरीर थका होगा तो नींद अपने आप आएगी। इसलिए जितना हो सके उतना एक्सरसाइज करें। यह ने केवल आपको शारीरिक रूप से फिट रखता है बल्कि मानसिक सुकून भी देता है। थके हुए शरीर को आराम की जरूरत होती है। प्रतिदिन कम से कम एक घंटा कठिन परिश्रम तथा कार्यस्थल पर टहलना अपने डेली रूटीन में शामिल करें।
- रात का खाना जल्द खाएं: रात का खाना बिस्तर पर जाने से दो घंटे पहले हो जाना चाहिए, अन्यथा अपच हो सकती है जो अनिद्रा का मुख्य कारण है।
- बिस्तर हो आरामदायक: आपका बिस्तर यानी की गद्दा आरामदायक होना चाहिए। आग गद्दा कड़क होता है तो इससे नींद बार बार खुलते रहती है साथ ही इस वजह से मासपेशियों में तनाव, नसों का दबना और बदन दर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती है।
- मोबाइल से बनाएं दूरी: रात को सोने से 2 घंटे पहले ही अपने मोबाइल को कहीं और रख दें। मोबाइल को कभी भी पाने बीएड के पास न रखें और ने ही सोने के बाद बार बार मोबाइल देखें।
- डॉक्टर के पास जाएँ: ऊपर बताये उपायों को आज़माने के बाद भी कोई असर नहीं हो रहा है तो आप डॉक्टर से कंसल्ट करें। दरअसल जब हम अपने कार्यस्थल पर पूरे समय व्यस्त रहते हैं, इसके बाद हम जब अकेले होते हैं तो चिंता और घबराहट के कारण हमें नींद नहीं आती है। इसलिए जरूरी है कि हम अपनी चिंताओं, फिक्र और आशंकाओं के बारे में समय रहते डॉक्टर से मिलें और उन्हें अपनी परेशानी के बारे में बताएं।