आए दिन सड़क पर होने वाले ऐसे हादसों की खबरें दिल दहला देती हैं कुछ खूशनसीब होते हैं जो बच जाते हैं लेकिन ऐसे लोगों का दर्द और भी ज्यादा है जो बच तो जाते हैं लेकिन उनकी बची हुई जिंदगी बैसाखी और व्हील चेयर के सहारे कटती है। वक्त आ गया है कि हम रोड सेफ्टी को लेकर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाएं ताकि सड़कों पर इस तरह के हादसे घटे लोग सावधानी से गाड़ी चलाएं। आज कल तो लोग ऐसे फर्राटे से कार-बाइट चलाते हैं जैसे गाड़ी सड़क पर नहीं हवा में उड़ा रहे हों। एक नई स्टडी कहती है कि अगर आप 60 किलोमीटर या उससे ऊपर की रफ्तार में गाड़ी चलाते हैं तो दूसरों को छोड़िए आपकी अपनी रीढ़ की हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है।
दरअसल, 40 KM की स्पीड से ड्राइव करना सेफ माना गया है लेकिन अगर गाड़ी की स्पीड ज्यादा है तो एक्सिडेंट होने पर शरीर का फैट और मसल्स झटके को बर्दाश्त नहीं कर पाते और इसका असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है जितनी ज्यादा स्पीड उतना ज्यादा खतरा। रिपोर्ट के मुताबिक आप इसे इस तरह समझ सकते हैं अगर कार की रफ्तार 65 किलोमीटर है और टक्कर आमने-सामने से हो जाती है तो उसमें सवार लोगों के सीरियस स्पाइनल इंजरी का खतरा 85% तक बढ़ जाता है। यही वजह है कि पिछले 25 साल में जहां मोटर एक्सिडेंट से स्पाइल इंजरी के मामले 30 परसेंट थे वो बढ़कर अब 45 परसेंट हो गए हैं।वैसे ही देश के 80% लोग कंधे, पीठ, कमर की किसी ना किसी परेशानी से जूझ रहे हैं। ऐसे में बाबा रामदेव बता रहे हैं आप अपनी स्पाइनल हेल्थ का ख्याल कैसे रखें?
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