आपने कई बार देखा या फिर सुना होगा कि किस तरह लोग चलते-फिरते चोरी करने की आदत होती है। कई मामले ऐसे सामने आए हैं जिनमे लोग संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में हर कोई हैरान रह जाता है कि इसे क्या कमी है? जो दूसरों का समान चोरी कर रहा है। लेकिन आपको बता दें कि यह एक मनोवैज्ञानिक बीमारी है। जिसे 'क्लेप्टोमेनिया' नाम से जाना जाता है।
मनोवैज्ञानिक बीमारी 'क्लेप्टोमेनिया' से ग्रसित व्यक्ति की चोरी करने की इतनी बुरी लत लग जाती हैं कि वह छोटी से लेकर बड़ी चीजे खुशी से चुरा लेता है। यह लोग कई बार अपनी जरुरत का समान नहीं बल्कि कुछ भी चुरा लेते हैं जो उनके अंदर उठने वाली इच्छा को शांत कर दें।
'क्लेप्टोमेनिया' से पीड़ित लोगों के मन में चोरी का भय भी होता है। इसके साथ ही चोरी करने की हरकत से उन्हें शर्मिंदगी भी होती हैं लेकिन कुछ देर बाद फिर उनके अंदर चोरी करने की इच्छा जाग्रत हो जाती हैं। जिससे फिर वह चोरी करते हैं।
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क्लेप्टोमेनिया होने का कारण
इस बारे में वैज्ञानिकों का मनाना है कि हमारे ब्रेन से निकलने वाली सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर्स हमारी भावनाओं को कंट्रोल करते हैं। लेकिन दोनों ही कमी हो जाने के कारण दिमाग में एड्रिनल का लेवल बढ़ जाता है। जिसके कारण लोगों के अंदर कुछ चुरा लेने की इच्छा बढ़ जाती हैं। जिसे वह कंट्रोल करने में असमर्थ होते हैं।
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क्लेप्टोमेनिया के लक्षण
- बढ़ते तनाव, अवसाद, चिंता के कारण किसी चीज की चोरी करना
- चोरी करते समय खुशी या फिर राहत मिलना।
- चोरी करने के बाद शर्मिंदगी होना। गिरफ्तारी का डर, शर्म या फिर खुद से घृणा करना।
- जरुरत के बिना किसी चीज की चोरी करना।
- चोरी करने की इच्छा को कंट्रोल न कर पाना।
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क्लेप्टोमेनिया का इलाज
अगर इसके लक्षणों को समय में पहचान लिया जाए तो इसे समय रहते कंट्रोल किया जा सकता है। यह एक मनोरोग बीमारी है क्योंकि इसमें अवसाद, बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी जैसे कई लक्षण नजर आते हैं। इसे काउसलिंगऔर साइकोथेरेपी के द्वारा काफी हद तक रोका जा सकता है।