Koffee with Karan season 8 में फिल्म प्रोड्यूसर करण जौहर (karan johar depression) ने अपने मानसिक सेहत को लेकर एक बड़ा खुलासा किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे वो NMACC इवेंट के दौरान अचानक से डिप्रेशन के लक्षणों को महसूस करके परेशान हो गए। इतना ही नहीं जैसे-तैसे जब वो घर पहुंचे तो अकारण ही रोने लगे और बहुत दुखी हो गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उनके साथ हो क्या रहा है। क्या वो डिप्रेशन में हैं या फिर सिर्फ ये एक एंग्जायटी अटैक था। हालांकि, उन्होंने फिर डॉक्टर को दिखाया और उनका इलाज चल रहा है। लेकिन, ये दिक्कत सिर्फ करण जौहर की नहीं है बल्कि, आज के समय में बहुत से लोगों की है। ऐसे में डिप्रेशन और एंग्जायटी को लेकर कुछ जरूरी सवालों को जानना जरूरी हो जाता है। इसी बारे में हमने डॉ. राहुल राय कक्कड़, कंसलटेंट साइकोलॉजी एंड क्लीनिकल साइकोलॉजी, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम से बात की।
कैसे समझें कि हम डिप्रेशन में हैं?
जब हम डिप्रेशन में होते हैं तब हमारा मस्तिष्क पूरी तरह से वास्तविक समय के अनुसार काम नहीं करता, हम कभी-कभी किसी एक बात को लेकर बैठे रहते हैं और सोच में डूबे रहते हैं। हम हमेशा तनाव में रहते हैं, कभी-कभी घबराहट होती है, कभी हमारा मूड ऑफ होता है, कभी बेचैनी सी रहती है, मन उदास रहता है और यह लक्षण जीवन में हमेशा नहीं आते इसलिए आपको अगर इस प्रकार के लक्षण लगातार महसूस हो रहे हैं तो समझ लीजिए आप डिप्रेशन के घेरे में है। क्योंकि जब आप डिप्रेशन के घेरे में होते हैं, तब आपका सामान्य काम भी प्रभावित होने लगता है और आप समाज से कटने लगते हैं, यह आपको तुरंत नहीं पता चलता, परंतु कुछ समय बाद आपको आभास होता है कि आपके साथ ऐसा हो रहा है, इसलिए ऐसे लक्षणों पर ध्यान दें और जब आपको लगे कि आप डिप्रेशन में है तो उससे निकलने के लिए किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें।
चीनी या गुड़, High Cholesterol के मरीजों को किसका सेवन करना चाहिए? जानें क्या है हेल्दी ऑप्शन
डिप्रेशन का पहला लक्षण क्या है?
डिप्रेशन का लक्षण हर व्यक्ति में उम्र व लिंग के हिसाब से अलग-अलग होता है। पुरुषों में अलग प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो वहीं महिलाओं में अलग और बच्चों में अलग प्रकार के लक्षण दिखाई पड़ते हैं क्योंकि उनके हाव-भाव के अनुसार ही उनके लक्षण भी प्रकट होते हैं। फिर भी डिप्रेशन के कुछ आम लक्षण है जिन पर गौर करना बहुत जरूरी है जैसे
-अगर आप अधिकांश समय परेशान रहते हैं
-निराश रहते हैं
-उलझे हुए रहते हैं
-मानसिक तनाव में रहते हैं
-किसी भी आनंदित गतिविधियों में आपकी रुचि नहीं रहती
-आपका वजन पर इसका असर दिखने लगता है
-आपकी नींद में समस्या आने लगती है।
डिप्रेशन क्या सिर्फ एक फिलिंग है या सच में उस व्यक्ति में ये स्थिति है?
डिप्रेशन एक ऐसी फीलिंग है जिसमें व्यक्ति की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वह उस कारण बहुत ही तनाव में रहता है। उसकी कार्यक्षमता में भी नकारात्मकता आ जाती है, उसका सोचने का तरीका बदल जाता है और इस कारण वह शारीरिक रूप से भी कमजोर होने लगता है अंदर से टूटने लगता है मतलब अंदरुनी मानसिक तनाव के कारण वह घुटता रहता है।
एंग्जायटी और डिप्रेशन में कैसे फर्क करें?
एंग्जायटी अर्थात उदासी एक नॉर्मल इमोशन है, जबकि डिप्रेशन एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। एंग्जायटी में हम उदासी का अनुभव करते हैं यह हर किसी व्यक्ति के साथ हो सकता है जिस प्रकार से हम खुशी का अनुभव करते हैं ठीक उसी प्रकार से उदासी का भी अनुभव कर सकते हैं परंतु डिप्रेशन तब होता है जब हम हद से ज्यादा सोच में डूबे होते हैं, मानसिक तनाव में रहते हैं, उस स्थिति से निकल ही नहीं पाते, इसमें एक-दो दिन नहीं बल्कि उससे अधिक समय भी लग सकता है डिप्रेशन की स्थिति में हम लगभग कई महीनो तक किसी भी चीज में इंटरेस्ट नहीं दिखाते, घूमने फिरने का भी हमारा मन नहीं करता , दोस्तों से दूर होने लगते हैं, ऐसा लगता है कि किसी एकांत जगह या फिर घर के अंदर हम बैठे रहे और जीवन हमें नीरस सी लगने लगती है, परंतु एंग्जायटी या उदासी कुछ समय के लिए रहता है उसके बाद नहीं रहता।
शरीर में ऑक्सीजन बढ़ाने का आसान और मजेदार तरीका, ये बीमारियां रहेंगी दूर
निगेटिव विचार ही डिप्रेशन है या ये शुरुआत है?
निगेटिव विचार ही डिप्रेशन है ऐसा नहीं कह सकते, हां अगर किसी एक विचार को नकारात्मक भाव से हम हमेशा सोचते रहते हैं और उसे निकल ही नहीं पाते और हमारे दिमाग में यह बना रहे की सिर्फ नकारात्मकता ही उस विचार में हमें डुबाए रखेगी तब यह डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है। डिप्रेशन में हम शुरुआती स्तर पर किसी एक विचार में उलझे हुए रहते हैं और उस विचार को लेकर नकारात्मक भाव हमारे अंदर भरता ही जाता है, जो निकल नहीं पता, यदि यह निगेटिव विचार नहीं निकल पाता और हम उसके अंदर, उसके दलदल में घुसते चले जाते हैं तब समझिए कि हम डिप्रेशन में ही जा रहे हैं। इसलिए इस समय सावधान हो जाइए और किसी काउंसलर की मदद लीजिए किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक से संपर्क कीजिए।