संजीवनी बूटी क्या है? रामायण देखने या पढ़ने के दौरान ये बात आपके दिमाग में आई होगी। आप भी सोचते होंगे कि क्या ये सच में है और आज भी मिल सकता है। तो, जवाब है हां। हम इस बात का दावा तो नहीं करते लेकिन, कुछ शोध बताते हैं कि श्रीलंका के दक्षिण समुद्री किनारे पर रूमास्सला हिल है जहां से हनुमान जी इस जड़ी बूटी को ले गए थे। इसका साइंटिफिक नेम सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस (Selaginella bryopteris L.) है। इसका उपयोग अक्सर पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों में यौन रोग, कब्ज, कोलाइटिस, मूत्र पथ के संक्रमण, बुखार, मिर्गी के रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं ल्यूकोरिया, बेरी-बेरी और कैंसर के इलाज में भी इसका इस्तेमाल बताया गया है।
संजीवनी बूटी का उपयोग-Uses of Selaginella bryopteris
संजीवनी बूटी यानी सेलाजिनेला ब्राहपटेर्सिस (Selaginella bryopteris L.) का प्रयोग ज्यादातर टॉनिक के रूप में भी किया जाता है। माना जाता है कि इसमें मेथनॉलिक कंपाउंड होते हैं जो कि शरीर में दर्द और सूजन से लड़ते हैं। इसके अलावा ये सेल्स की हीलिंग में मदद करते हैं। NCBI की ये रिपोर्ट बताती है कि
- मध्य प्रदेश में, गोंड जनजातियों के सदस्यों द्वारा पारंपरिक रूप से इस जड़ी-बूटी का उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है।
- छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की जनजातियों की महिलाएं मासिक धर्म की अनियमितता और ल्यूकोरिया जैसी स्त्रीरोग संबंधी समस्याओं के इलाज और प्रसव पीड़ा को कम करने के लिए इस जड़ी बूटी के सूखे पाउडर का उपयोग करती हैं।
-यूपी के सोनभद्र में जड़ी-बूटी के पेस्ट का उपयोग मौखिक रूप से किया जाता है।
-बेरी-बेरी और पेचिश के रोगियों को ठीक करने के लिए गाय के दूध के साथ इसे दिया जाता है।
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संजीवनी बूटी के फायदे-Selaginella bryopteris benefits
1. एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर
संजीवनी बूटी, एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है और शरीर में सूजन को कम करने में मददगार है। ये किसी भी प्रकार के दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। चाहे वो सिर दर्द, पेट दर्द या किसी चोट का दर्द हो।
2. स्ट्रेस कम करने में मददगार
जब आप तनाव महसूस करते हैं, तो आपका शरीर आपके खून में एक कैमिरकल छोड़ता है। संजीवनी बूटी के पौधे को एडाप्टोजेन (adaptogens) के रूप में जाना जाता है। ये एक प्राकृतिक पदार्थ जो विभिन्न तरीकों से आपके शरीर की तनाव के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इस तरह ये एडाप्टोजेन्स तनाव से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करते हैं।
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3. मिर्गी
एडाप्टोजेनिक गुण संजीवनी पौधे को थकान और मिर्गी के लक्षणों से भी लड़ने में कारगर बनाता है। एक अध्ययन के अनुसार, इसका उपयोग बेहोश रोगियों के इलाज के लिए और बुखार से पीड़ित रोगी के शरीर के तापमान को कम करने के लिए भी किया जाता है। तो, इस तरह आप समझ सकते हैं कि संजीवनी बूटी कैसे कारगर है।
Source: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5532467/