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Pink Eye और Conjunctivitis के बीच न हों कंफ्यूज! एक्सपर्ट से जानें सही बात और एडेनोवायरस से क्या है इसका नाता

Pink Eye: पिंक आई और कंजंक्टिवाइटिस के बीच ज्यादातर लोग कंफ्यूज हैं। कुछ को लगता है कि ये दोनों अलग-अलग इंफेक्शन हैं तो, कुछ लोगों को लगता है कि दोनों एक ही हैं। आइए, डॉक्टर से समझते हैं।

Written By: Pallavi Kumari
Updated on: July 27, 2023 22:35 IST
Conjunctivitis- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL Conjunctivitis

Pink Eye: दिल्ली में लगातार पिंक आई (Pink Eye) के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एम्स, दिल्ली (AIIMS) की मानें तो रोजाना लगभग 100 मरीज, पिंक आई की दिक्कत के साथ अस्पताल आ रहे हैं। बरसात के बाद अचानक से इन समस्या का बढ़ना लोगों के साथ एक्सपर्ट को भी परेशान कर रहा है। ऐसे में आम लोगों में इस इंफेक्शन को लेकर कुछ भ्रम हैं तो, कुछ कंफ्यूजन की स्थिति है। जहां कुछ लोगों को लगता है कि पिंक आई एडेनोवायरस (adenovirus) की वजह से फैल रहा है तो, कुछ लोग पिंक आई और कंजंक्टिवाइटिस के बीच कंफ्यूज हैं। ऐसी ही कुछ सवालों को लेकर हमने डॉ संजीव गुप्ता, निदेशक एवं वरिष्ठ नेत्र सर्जन, आई केयर सेंटर, नई दिल्ली से बात की जिन्होंने, हमारे कुछ सबसे जरूरी सवालों का जवाब दिया। 

1. क्या पिंक आई और कंजंक्टिवाइटिस एक ही चीज है? 

हां, पिंक आई और कंजंक्टिवाइटिस  एक ही चीज हैं। पिंक आई एक सामान्य शब्द है जिसका उपयोग कन्जंक्टाइवा के सूक्ष्म, पारदर्शी स्तर की सूजन को वर्णित करने के लिए किया जाता है, जो आंख के सफेद हिस्से और पलकों के अंदरी सतह को ढंकती है। यह वायरस, बैक्टीरिया, या एलर्जी से हो सकती है। लोग इन शब्दों का अदला-बदली करते हैं, जिससे भ्रम हो सकता है।

2. एडेनोवायरस से कंजंक्टिवाइटिस का क्या है नाता?

एडेनोवायरस (adenovirus), वायरस का एक ऐसा समूह है जो श्वसन संक्रमण और अन्य बीमारियों का कारण बन सकते हैं। कुछ एडेनोवायरस के स्ट्रेन कन्जंक्टाइवाइटिस का कारण बन सकते हैं, जिसे पिंक आई वायरल (Pink eye viral) के रूप में जाना जाता है। वायरस , संक्रमित व्यक्ति की खांसी या छींकने से उत्पन्न श्वसन बूंदों, संक्रमित हाथ और वस्तुओं के जरिए फैल सकता है।  

3. पिंक आई कैसे फैलता है?

 पिंक आई, संक्रमित व्यक्तियों के सांस की बूंदो या संक्रमित वस्तुओं के सीधे संपर्क के माध्यम से फैलती है। यह एक आंख को छूने और फिर दूसरी आंख को छूने से भी फैल सकती है, साथ ही स्विमिंग पूल में तैरने या संक्रमित नेत्र सुरक्षा उत्पादों का उपयोग करने से भी फैल सकती है। अच्छे हैंड हाइजीन का पालन करना, आंखों को छूने से बचना और वस्तुओं को विशुद्ध करना फैलने को रोकने में मदद कर सकता है।

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Image Source : SOCIAL
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4. मानसून में ये समस्या क्यों बढ़ गई है?

मानसून के मौसम में पिंक आई के मामले अक्सर बढ़ जाते हैं क्योंकि बारिश के मौसम में बढ़ती हुई नमी और आर्द्रता के कारण गर्म और गीला माहौल बैक्टीरिया और वायरसों के विकास के लिए एक आदर्श प्रजनन स्थल प्रदान करता है, जिसमें एडेनोवायरस (adenovirus) भी शामिल है जो वायरल कन्जंक्टाइवाइटिस का कारण बनाता है। 

5. पिंक आई से बचाव के उपाय

 - साबुन और पानी से अक्सर हाथ धोकर हाथ की स्वच्छता का पालन करें।

- अनधोए हाथों से आंखों को छूने से बचें।
- तौलिए, तकिया और आई मेकअप जैसे व्यक्तिगत सामान साझा न करें।
- आमतौर पर छूए जाने वाले सतह और वस्त्रों की विशेष रूप से सफाई करें।
 - पिंक आई वाले व्यक्ति से निकट संपर्क से बचें।

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6. पिंक आई के लिए सावधानियां और घरेलू उपचार

- आंखें रगड़ने से बचें, क्योंकि यह स्थिति को बढ़ा सकता है।
- प्रभावित आंख पर ठंडा कंप्रेस लगाने से दर्द को कम किया जा सकता है।
- ओवर-दि-काउंटर लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का उपयोग करके ड्राईनेस को दूर करें।
- सालाइन सोल्यूशन के साथ आंखें धो सकते हैं।
अगर आपको एलर्जिक कंजक्टाइवाइटिस का संदेह हो, तो एलर्जी  कम करने वाली आई ड्रॉप का उपयोग करें। साथ ही लक्षण बने रहते हैं या बढ़ जाते हैं, तो सही ट्रीटमेंट के लिए नेत्र चिकित्सक से जांच करें।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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