लंबाई आपके व्यक्तित्व को निखारने का काम करता है। अगर आपकी हाइट अच्छी होगी तो आपका व्यक्तित्व अधिक निखर कर बाहर आएगा। यूं तो हर इंसान अपनी ग्रोथ और जींस के हिसाब से लंबाई पाता है। लोग हाइट बढ़ाने के लिए न जाने कितने तरीके के उपाय अपनाता है। कई बार दवाओं का भी सहारा लेते हैं, लेकिन आपको बता दें कि ये आपके शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। अगर आप नैचुरल तरीके से अपनी हाइट बढ़ाना चाहते हैं तो योग की मदद ले सकते हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार योग के द्वारा 18 साल की उम्र तक आप अपनी लंबाई बढ़ा सकते हैं। लंबाई बढ़ने के साथ-साथ आपका शरीर भी हेल्दी रहेगा। जानिए इन योगासनों के बारे में।
लंबाई बढ़ाने के लिए योगासन
ताड़ासन
ताड़ासन द्वारा आसानी से लंबाई बढ़ाई जा सकती है। इसके साथ-साथ रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले बिल्कुल सीधे खड़े हो जाए। अब दोनों एड़ियों और पंजों को थोड़े से गैप देकर खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को कमर की सिधाई की दिशा में ऊपर की ओर रखें और हथेलियों को मिलाएं। दोनों हाथों की अंगुलियां भी आपस में मिली होनी चाहिए। कमर सीधी, नजरें सामने की ओर और गर्दन सीधी रखें। दोनों एड़ियों भी ऊपर की ओर उठाएं और शरीर का पूरा भार पंजों पर डाल दें। हाथ-पैरों को उठाते हुए पेट अंदर करें। कुछ देर ऐसे ही खड़े रहें और फिर ये प्रक्रिया अपनाएं।
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शीर्षासन
इस आसन को करने से शरीर में तेजी से रक्त प्रवाह होता है। जिससे आपकी लंबाई बढ़ने के साथ साथ दिमाग तेज होता है। तनाव, चिंता से छुटकारा मिलता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले वज्रासन मुद्रा में बैठे जाएं। इसके बाद नॉर्मल सांस लेते हुए सिर को घुटनों के सामने फर्श पर रखें। अंगुलियों को सिर के पीछे से पकड़ें और हाथों से सिर के पिछले भाग को सहारा दें। अब धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं और एकदम सीधे रखें। पैरों को ऊपर उठाने के लिए आप शुरुआत में दीवार का सहारा ले सकते हैं। इस दौरान आपका पूरा शरीर बिल्कुल सीधा होना चाहिए। शरीर का संतुलन अच्छी तरह से बनाए रखें। इस मुद्रा में आने के बाद 15- 20 सेकंड तक गहरी सांस लें और जितनी देर हो सकते इसी मुद्रा में रहें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ें और और पैरों धीरे-धीरे नीचे जमीन पर वापस लाएं।
सर्वांगासन
अगर आप शीर्षासन नहीं कर पा रहे हैं तो सर्वांगासन कर सकते हैं। इससे भी लंबाई बढ़ने के साथ वजन कम करने में मदद मिलती है। इस आसन को करने के लिए सबे पहले पहले पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को शरीर से सटाकर सीधा कर लें। अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए पैरों, कूल्हों और कमर को ऊपर उठाने की कोशिश करें। कमर को हाथों का देते हुए कोहनियों को जमीन से सटा लें। इस दौरान आपके शरीर का भार कंधों, कोहनियों और सिर पर होगा। इसलिए जल्दबाजी करने से बचें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें के बाद धीरे-धीरे पैर नीचे करें और अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
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पश्चिमोत्तानासन
इस आसन को करने से लंबाई बढ़ने के साथ-साथ किडनी की समस्या, हड्डियों के दर्द की समस्या से निजात मिल जाता है। इस आसन के लिए सबसे पहले पैर फैलाकर बैठ जाएं। आपके दोनों पैर आपस में सटे हों और घुटने बिल्कुल सीधे रहें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए आगे कि ओर झुकें और माथे को घुटनों से सटाते हुए हाथों से पैरों के अंगुठों को पकड़ने का प्रयास करें। कुछ सेंकड इसी मुद्रा में रहने के बाद सामान्य गति से सांस लेते रहें। कुछ देर बाद आराम से सीधे हो जाएं।
हलासन
इस आसन को ये नाम किसान के हल के समान आकृति होने के कारण मिला है, जो मिट्टी को खेती से पहले खोदने के काम आता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अपने हाथों को शरीर से सटा लें। हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी। सांस भीतर की ओर खींचते हुए धीरे-धीरे पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं। टांगे कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी। जिसके कारण पेट की मांसपेशियों पर दवाब रहेगा। टांगों को ऊपर उठाते हुए अपने हाथों से कमर को सहारा दें। सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। अपने पैरों के अंगूठे से जमीन को छुने की कोशिश करें। कमर जमीन के समानांतर रहेगी। इस मुद्रा में धीमे-धीमे सांस लेते हुए कुछ देर रहें। इसके बाद अपने पैरों को आराम से नीचे ले आएं।
चक्रासन
इस आसन को करने से लंबाई के साथ-साथ लंग्स, लिवर, किडनी आदि हेल्दी रहते हैं। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। इसके बाद अपने दोनों हाथों और पैरों को सीधा करें। अब अपने पैरों को घुटने से मोड़ लें। इसके बाद हाथों को पीछे की ओर अपने सिर के पास ले जाकर जमीन से टिका लें। अपनी सांस को अंदर की ओर लें और अपने पैरों पर वजन को डालते हुए कूल्हों को ऊपर उठाएं। इसके बाद दोनों हाथों पर अपना वजन डालते हुए अपने कधों को ऊपर उठाएं और धीरे-धीरे हाथों को कोहनी के सीधे करते जाएं। अपनी हाथ और पैरों को पूरी तरह सीधा रखें। अब अपने दोनों हाथों को अपने दोनों पैरों के पास लाने की कोशिश करें और जितने पास ला सकते है लाएं। जबरदस्ती करने से बचें। जितना हो उतना ही करें।