Wednesday, December 18, 2024
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सावधान! बुखार में करते हैं पेरासिटामोल का इस्तेमाल तो लिवर-किडनी समेत इन अंगों से जुड़ी बीमारी का हो सकते हैं शिकार- स्टडी

​ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हाल ही में यह खुलासा किया है कि पेरासिटामोल के ज़्यादा सेवन से लोगों की सेहत बिड सकती है। खासतौर पर उम्रदराज लोगों यानी 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गुर्दे से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Dec 18, 2024 19:34 IST, Updated : Dec 18, 2024 19:35 IST
पैरासिटामोल के नुकसान
Image Source : SOCIAL पैरासिटामोल के नुकसान

पेरासिटामोल एक ऐसी दवाई है जिसे अक्सर लोग बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द होने पर इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में हुए अध्यन में कहा गया है कि यह दवाई आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने हाल ही में यह खुलासा किया है कि पेरासिटामोल के ज़्यादा सेवन से लोगों की सेहत बिड सकती है। खासतौर पर उम्रदराज लोगों यानी 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में गुर्दे से जुड़ी बीमारी का खतरा बढ़ सकता है। यानी इसके सेवन से कई प्रकार के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। शॉर्ट टर्म में पेरासिटामोल का अधिक सेवन करने से लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है। विभु नर्सिंग होम में सीनियर कंसल्टेंट और फिजिशियन, डॉ.विभु क्वात्रा हमें बता रहे हैं कि पैरासिटामोल का ज़्यादा सेवन सेहत के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।

बढ़ जाती है लिवर खराब होने की संभावना:

यदि आप प्रतिदिन 4 ग्राम पेरासिटामोल लेते हैं, तो लिवर खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, पीलिया जैसी समस्या हो सकती है, और लिवर पूरी तरह से खराब भी हो सकता है। कुछ मामलों में, यह स्थिति समय के साथ ठीक हो सकती है, लेकिन जोखिम बना रहता है। इसके अलावा, त्वचा पर रैश, सांस लेने में तकलीफ, एलर्जी और गैस व एसिडिटी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। दुर्लभ मामलों में, शॉर्ट टर्म के उपयोग से किडनी पर भी तुरंत असर पड़ सकता है।

किडनी हो सकती है खराब:

लंबे समय तक पेरासिटामोल का सेवन करने से लिवर पूरी तरह खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। लॉन्ग टर्म में यह स्थिति क्रॉनिक लिवर डिजीज का रूप ले सकती है, जो लिवर को पूरी तरह से खराब कर सकती है। गंभीर स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता भी पड़ सकती है। इसके साथ ही, लंबे समय तक पेरासिटामोल के उपयोग से किडनी के कार्य धीरे-धीरे खराब होते जाते हैं।

बढता है हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा:

लगातार पेरासिटामोल लेने वाले व्यक्तियों में टॉलरेंस विकसित हो सकती है। इसका मतलब यह है कि शरीर इस दवाई के प्रति अभ्यस्त हो जाता है और सामान्य खुराक असरदार नहीं रहती। ऐसे में जब वास्तव में इसकी जरूरत होती है, तब यह दवाई असर नहीं करती। इसके अलावा, लंबे समय तक पेरासिटामोल लेने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ सकता है, और डिप्रेशन व एंग्जायटी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसलिए, पेरासिटामोल का सेवन केवल आवश्यकता पड़ने पर ही करें और डॉक्टर द्वारा सुझाई गई खुराक में ही लें। इसे ओवरडोज या बिना सोचे-समझे चूरन की तरह खाना गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। 

 

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