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क्या 80 प्रतिशत आबादी के मास्क पहनने से काबू में आ सकता है कोरोना वायरस?

यदि 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो इस महामारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा सकती है।-यह कहना है, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. शैलजा वैद्य गुप्ता का। 

Reported by: IANS
Published on: April 03, 2020 10:11 IST
Mask- India TV Hindi
Image Source : AP Mask

देश की अगर 50 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो सिर्फ 50 प्रतिशत आबादी को ही कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा हो सकता है। यदि 80 प्रतिशत आबादी मास्क पहनती है, तो इस महामारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा सकती है।-यह कहना है, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वरिष्ठ सलाहकार डॉ. शैलजा वैद्य गुप्ता का। उन्होंने यह बात भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय द्वारा सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस से जुड़ी एक नियमावली में पेश तथ्य के आधार पर कही।

डॉ. शैलजा ने कहा, "मास्क की कमी को देखते हुए इस नियमावली में घर पर मास्क बनाने पर जोर दिया गया है। यह पहल मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है, जो मास्क पहनना चाहते हैं, लेकिन उनकी इन मास्कों तक पहुंच नहीं है। ऐसे में घर पर बनाए हुए मास्क उपयोगी हो सकते हैं। इनकी खूबी यह है कि इन्हें धोकर आप दोबारा उपयोग कर सकते हैं।"

कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय ने घर में बने मास्क पर केंद्रित एक विस्तृत नियमावली 'सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क' जारी की है।

नियमावली में विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए लिखा गया है, "मास्क उन्हीं लोगों पर प्रभावी हैं जो अल्कोहल युक्त हैंडवॉश या साबुन और पानी से हाथ साफ करते हैं। यदि आप मास्क पहनते हैं, तो आपको इसके इस्तेमाल और इसके उचित निस्तारण के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।"

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मास्क पहनना है क्यों जरूरी

मास्क को क्यों पहना जाए? इस सवाल पर नियमावली कहती है कि एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने पर कोविड-19 वायरस आसानी से फैलता है। वायरस को ले जाने वाली बूंदें इसे तेजी से फैलाती हैं और हवा में जीवित रहते हुए यह आखिरकार विभिन्न सतहों के संपर्क में आ जाता है। कोविड-19 को फैलाने वाला वायरस सार्स-कोव-2 किसी ठोस या तरल सतह (एयरोसोल) पर तीन घंटे तक और प्लास्टिक व स्टेनलेस स्टील पर तीन दिन तक जीवित रहता है।

ऐसे करें घर पर बनाए गए मास्क को साफ

नियमावली में कहा गया है कि मास्क के उपयोग से संक्रमित व्यक्ति से निकले द्रवकणों में मौजूद वायरस के किसी दूसरे व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश की आशंका कम हो जाती है। सुरक्षित मास्क पहनकर वायरस के सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश की संभावनाएं कम हो जाती हैं, जो इसके प्रसार को रोकने के लिहाज से अहम हो सकता है। हालांकि, मास्क को ऊष्मा, यूवी लाइट, पानी, साबुन और अल्कोहल के एक संयोजन के उपयोग से स्वच्छ किया जाना जरूरी है।

इस नियमावली को जारी करने का उद्देश्य मास्क, इनके उपयोग और मास्क के दोबारा उपयोग की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया की सरल रूपरेखा उपलब्ध कराना है, जिससे एनजीओ और व्यक्तिगत रूप से लोग खुद ऐसे मास्क तैयार कर सकें और देशभर में तेजी से ऐसे मास्क अपनाए जा सकें। प्रस्तावित डिजाइन के मुख्य उद्देश्यों में सामग्रियों तक आसान पहुंच, घरों में निर्माण आसान करना, उपयोग और फिर से उपयोग को आसान बनाना शामिल है

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