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लो अब आ गया हाइब्रिड चावल, स्वाद और प्रोटीन में मीट जैसा, वैज्ञानिको ने नाम दिया है 'मीट राइस'

What Is Meat Rice: सोचिए चावल खाने से ही मीट का स्वाद और पौष्टिक गुण मिल जाएं तो फिर क्या ही बात है। जी हां वैज्ञान‍िकों ने अब एक ऐसा हाइब्रिड चावल बनाया है जो स्वाद में पूरी तरह मीट जैसा है। इस वेज मीट को खाने से शरीर को कई फायदे मिलेंगे। जान

Written By: Bharti Singh
Published on: February 17, 2024 13:14 IST
मीट राइस- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL मीट राइस

नॉनवेज खाने वाले लोगों को लिए अच्छी खबर है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा हाइब्रिड चावल तैयार किया है जिसका स्वाद और पौष्टिक गुण एकदम मीट की तरह हैं। इस चावल में मीट के बराबर प्रोटीन, कैल्‍श‍ियम, आयरन और ज‍िंक जैसे पोषक तत्‍व पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों ने इस चावल का नाम मीट राइस (meaty rice) रखा है। आप इस बिरियानी की तरह से खा सकते हैं। यानि अब आपको अलग-अलग मीट और फिर उससे बिरियानी बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि इसे खाने के लिे अभी आपको इंतजार करना पड़ेगा। 

साउथ कोरिया की योनसेई यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञान‍िकों ने इस हाइब्रिड चावल को लैब में तैयार किया है। इस चावल को बनाने में कई तरह के मीट को मिलाया गया है। आपको इसमें मछली का भी स्‍वाद मिलेगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये चावल दिखने में एकदम सामान्य चावल की तरह ही है, लेकिन इसमें नॉर्मल मीट के मुकाबले 8% ज्यादा प्रोटीन और 7% ज्यादा फैट पाया जाता है। सबसे खास बात कि इसे आप 11 दिन तक आसानी से नॉर्मल टेंपरेचर पर भी स्टोर कर सकते हैं। यह चावल मांसपेश‍ियों को जरूरी पोषण देने का काम करेगा।

इस चावल को उगाने की जरूरत नहीं होगी

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस चावल को युद्ध या आपातकालीन स्थि‍त‍ियों में इस्तेमाल किया जा सकता है। सेनाओं के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है। वहीं कुपोषण से लड़ने में भी मीट राइस मददगार साबित होगा। इसे प्रोटीन का एक क‍िफायती विकल्‍प माना जा सकता है। वहीं वैज्ञान‍िकों का कहना है कि इसका उत्पादन बहुत आसान है। आपको बहुत सारे जानवर पालने और खेती करने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि अब देखना होगा कि ये मीट राइस मार्केट में कब तक आता है और क्या लोग इसे उपयोग में लाएंगे?

इससे पहले बन चुका है मांसाहारी बर्गर

वैज्ञानिकों का कहना है कि आमतौर पर पशुओं से प्रोटीन प्राप्त किया जाता है। जानवरो को पालने में बहुत सारे संसाधनों और पानी की खपत होती है। जिससे बहुत ज्यादा ग्रीनहाउस गैस निकलती है। आपको बता दें 2013 में लंदन के कुछ वैज्ञानिकों ने एक अनोखा मांसाहारी बर्गर तैयार किया था। इस बर्गर को सिंगापुर में इसे बेचा गया था, जिसे लोगों ने काफी पसंद भी किया।

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