इंसानों और पशु-पक्षियों का साथ सदियों पुराना है। सबसे वफादार जानवर में हमेशा कुत्ते का नाम लिया जाता है। कुत्ता हजारों साल से इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त है। पेट्स को लेकर अमेरिका की लेटेस्ट स्टडी के मुताबिक डॉग्स महिलाओं को डिप्रेशन से भी आजादी दिला सकते हैं। साइंटिस्ट्स के मुताबिक महिलाओं का डॉग्स के साथ मजबूत रिश्ता, उन्हें डिप्रेशन, चिंता और तनाव से बाहर निकालने में मदद करता है। महिलाओं को ही नहीं, किसी को भी जिंदगी में अंधेरों से बाहर निकलने के लिए एक सच्चे साथी की जरूरत होती है, जो आपका दोस्त, भाई-बहन, पार्टनर कोई भी हो सकता है। अगर आपने अपने मन का बोझ हल्का नहीं किया और लगातार तनाव में रहे, तो आप क्रोनिक स्ट्रेस की चपेट में आ सकते हैं जो आपको थायरॉइड जैसा घातक रोग भी दे सकता है। दरअसल, तनाव से रिलीज होने वाले कार्टिसोल हार्मोन से थायरॉइड ग्लैंड में स्वेलिंग आ जाती है। यानी थायरॉक्सिन हार्मोन का प्रोडक्शन डिस्टर्ब होता है और लोग थायरॉइड के मरीज बन जाते हैं।
थायरॉइड इम्बैलेंस होते ही वजन बढ़ने या घटने लगता है। इसके अलावा बाल झड़ने लगते हैं, चेहरे पर झुर्रियां आ जाती हैं और वक्त से पहले इंसान बूढ़ा दिखने लगता है। यानी ये बीमारी आपकी सेहत को तो नुकसान पहुंचाती ही है बल्कि पर्सनालिटी को भी बिगाड़ देती है। देश के साढ़े 4 करोड़ थायरॉइड पेशेंट में से 60% तो अपनी बीमारी से अंजान हैं। आइए स्वामी रामदेव से थायरॉइड के लक्षण और उपचार के बारे में जानते हैं।
थायरॉइड के लक्षण
अचानक वजन बढ़ना-घटना
इर्रेगुलर पीरियड्स
हाई बीपी
सुस्ती-थकान
ड्राई स्किन
कब्ज
हेयरफॉल
नींद की कमी
घबराहट
चिड़चिड़ापन
उभरी हुई आंखें
इनफर्टिलिटी
हाथों में कंपन
मसल्स पेन
क्या कहता है आंकड़ा?
हर 10 में से 1 एडल्ट को हाइपो-थायरॉइड
3 में से 1 शुगर पेशेंट को थायरॉइड
थायरॉइड के लिए योग
सूर्य नमस्कार
पवनमुक्तासन
सर्वांगासन
हलासन
उष्ट्रासन
मत्स्यासन
भुजंगासन
थायरॉइड में कारगर प्राणायाम
उज्जायी 5-10 मिनट रोजाना
अनुलोम-विलोम 15 मिनट करें
भ्रामरी-उद्गीत 11-11 बार करें
दमदार आयुर्वेदिक उपचार
मुलैठी चूसना फायदेमंद
तुलसी-एलोवेरा जूस पिएं
रोजाना त्रिफला 1 चम्मच लें
रात में अश्वगंधा-गर्म दूध लें
हरा धनिया पीसकर पिएं
थायरॉइड में परहेज
चीनी
सफेद चावल
ऑयली फूड
सॉफ्ट ड्रिंक्स
शरीर के लिए खतरा
मेटाबॉलिज्म स्लो
मोटापा
हाई कोलेस्ट्रॉल
हार्ट डिजीज
अस्थमा
डिप्रेशन
डायबिटीज
कैंसर
मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करे थायरॉइड ग्लैंड
आज के समय में कम उम्र में ही लोग थायरॉइड बीमारी का शिकार हो रहे हैं। पहले ये बीमारी 50 साल की उम्र के बाद होती थी, लेकिन अब 30 से 35 साल की उम्र में भी इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं। तापमान कम होने से शरीर के अंदर स्ट्रेस बढ़ जाता है। कैटेकोलामाइन सर्दी से उत्पन्न होने वाले तनाव से निपटने में मदद करता है। इसके अलावा रेस्पिरेटरी और सर्कुलेटरी सिस्टम पर भी दबाव पड़ता है। कोल्ड स्ट्रेस के कारण थायरॉइड ग्लैंड क्षतिग्रस्त होने लगता है। इससे पहले के अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों को ज्यादा ठंड लगती है यानी क्रॉनिक ठंड के कारण थायरॉइड आयोडीन की खपत बढ़ जाती है और इससे थायरॉइड हार्मोन बढ़ने लगता है। वहीं इस दौरान थायरॉइड ग्लैंड का फॉलिकल्स फटने लगता है जिससे थर्मोरेगुलेटरी सिस्टम फेल होने लगता है। जब थायरॉइड ग्लैंड क्षतिग्रस्त होने लगेगा तो इस स्थिति में शरीर के अंदरूनी अंग नियत तापमान पर रह नहीं पाएंगे क्योंकि थायरॉइड ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन ही शरीर में तापमान को कंट्रोल करते हैं। इसका नतीजा ये होता है कि मौत का जोखिम बढ़ जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस ग्लैंड का मुख्य काम मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करना है। मेटाबॉलिज्म शरीर में होने वाली एक केमिकल प्रक्रिया है। इससे ही शरीर को ऊर्जा मिलती है। आसान भाषा में कहें तो हम जो खाना खाते हैं, उसके पोषक तत्वों को ऊर्जा यानी एनर्जी में बदलने का काम मेटाबॉलिज्म ही करता है। शरीर में होने वाले सारे फंक्शन मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करते हैं जैसे- सांस लेना, खाना-पचाना, ब्लड सर्कुलेशन, टिश्यूज की मरम्मत। यही वजह है कि मेटाबॉलिज्म को सेहत का राजा कहा जाता है।
मेटाबॉलिज्म के अलावा थायराइड हार्मोन के 7 काम
डाइजेस्टिव जूस बढ़ाता है जिससे फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को पचाना आसान होता है।
ब्लड में शुगर की मात्रा को कम करता है
बॉडी के तापमान को कंट्रोल कर टिश्यूज को बढ़ाता है।
ब्लड से खराब कोलेस्ट्रॉल को निकालने में लिवर की मदद करता है
हार्ट बीट और ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है
दूध पिलाने वाली महिलाओं में दूध की मात्रा बढ़ाता है
दिमाग में मौजूद पिट्यूटरी ग्लैंड को कंट्रोल करता है
महिलाओं में ज्यादा खतरा
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायरॉइड होने की आशंका 10 गुना ज्यादा होती है। खासकर बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज के ठीक बाद इसका रिस्क बढ़ जाता है। पिछले कुछ समय में पुरुषों में भी इसके केस बढ़ते जा रहे हैं। महिलाओं को थायरॉइड का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन फिर भी करीब 60% महिलाएं इसके लक्षणों के बारे में नहीं जानती हैं। इस गलती के कारण ये बीमारी गंभीर बन जाती है। 10 में से एक वयस्क को देश में हाइपोथायरॉइडिज्म की समस्या है और पुरुषों से तीन गुना ज्यादा महिला रोगी हैं। 3 में से एक मधुमेह रोगी को थायरॉइड की समस्या है। एक तिहाई मरीजों को थायरॉइड की जानकारी नहीं है। 44.3% गर्भवती महिलाओं को पहले तीन महीनों में हाइपोथायरॉइड की समस्या होती है।