ऑटिज्म का शिकार बच्चों का दिमाग दूसरे लोगों के दिमाग की तुलना में अलग तरीके से काम करता है। इस डिसऑर्डर के लक्षणों को समय रहते पहचानना बेहद जरूरी है वरना आपके बच्चे की सेहत बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है। आइए कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जानते हैं जिन्हें अगर आप अपने बच्चे के अंदर देखते हैं, तो आपको तुरंत सावधान हो जाना चाहिए और बिना देरी किए किसी अच्छे से डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
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नाम पर रिस्पॉन्ड न करना- डेढ़ साल के बाद भी अगर बच्चा अपना नाम सुनकर रिएक्ट नहीं कर रहा है तो ये एक खतरे का संकेत हो सकता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑटिज्म का शिकार बच्चे एक बार में अपने नाम पर रिएक्ट नहीं कर पाते हैं।
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आंख न मिलाना- अगर आपका बच्चा 1.5 साल का हो चुका है लेकिन फिर भी बातचीत करते समय आंख नहीं मिलाता है तो ये लक्षण ऑटिज्म की तरफ इशारा कर सकता है। ऑटिज्म का शिकार बच्चे आई कॉन्टैक्ट करने से बचते हैं और बात करते समय इधर-उधर देखने की कोशिश करते हैं।
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अकेले रहना- अगर आपके बच्चे को ऑटिज्म है तो आपका बच्चा अकेले रहना पसंद करेगा। मेहमानों से घुलने-मिलने में उसे बाकी बच्चों की तुलना में ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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देर से बोलने की शुरुआत- ऑटिज्म का शिकार बच्चे बाकी बच्चों की तुलना में देर से बोलना शुरू करते हैं। अगर आपके बच्चे ने भी डेढ़ साल की उम्र तक बोलना शुरू नहीं किया है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।
इस तरह के लक्षणों को नजरअंदाज करना आपके बच्चे के फ्यूचर पर भारी पड़ सकता है। अगर आपके बच्चे को ऑटिज्म है तो आपको उसे तुरंत किसी अच्छे से डॉक्टर को दिखाना चाहिए और इस डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट को शुरू कर देना चाहिए। ऑटिज्म के ट्रीटमेंट को शुरु करने में देरी नहीं होनी चाहिए।