
मौसम में बदलाव की वजह से लोगों में खांसी-जुकाम और गला बैठने की परेशानी शुरू हो जाती है। ऐसा क्यों होत है यह जानने के लिए हमने शारदा अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार-आंतरिक चिकित्सा, डॉ. श्रेय श्रीवास्तव से बातचीत की। उनके अनुसार, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उन लोगों में मौसमी संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है, जिसके चलते वो सर्दी खांसी और गले की परेशानियों की चपेट में तेजी से आते हैं। इसके आलावा, गले में तकलीफ़ के और कौन से कारण हैं। साथ ही गले की परेशानियों से बचने के लिए क्या करना चाहिए चलिए जानते हैं।
बदलते मौसम में क्यों बैठने लगता है गला?
बदलते मौसम की स्थिति अक्सर कई लोगों के गले में तकलीफ़ पैदा कर सकती है। यह मुख्य रूप से तापमान में बदलाव होना, ह्यूमिडिटी का बढ़ना और हवा में बदलाव होने के कारण होता है, जो हमारे श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। मौसमी बदलाव के दौरान, हवा शुष्क या ठंडी होती है, जिससे गले में जलन होती है। इसके अलावा, इस दौरान धूल, मिटटी जैसे एलर्जी के संपर्क में आने से भी गले की समस्याएँ बढ़ सकती हैं।
गले में तकलीफ़ के लक्षण:
- गले में हर समय सूखापन महसूस करना
- गले में दर्द होना
- गले में रह रहकर जलन हुआ
- लगातार खाँसी होना
- गला बैठने की वजह से बोलने में भारीपन महसूस होना
कौन लोग आते हैं जल्दी चपेट में?
कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले या अस्थमा या एलर्जी जैसी पहले से मौजूद श्वसन संबंधी बीमारियों वाले लोग इन लक्षणों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। इसके अलावा प्रदूषित वातावरण में ज़्यादा देर तक रहने, प्रदूषित पानी या भोजन का सेवन. परफ़्यूम, या किसी खुशबू या बदबू से एलर्जी वाले लोग इस समस्या की चपेट में जल्दी आते हैं।
गला की तकलीफ से बचने के लिए क्या करें?
बदलते मौसम के दौरान गले की समस्याओं को रोकने के लिए, आपको खूब पानी और गर्म तरल पदार्थ पीकर हाइड्रेटेड रहना चाहिए। घर के अंदर ह्यूमिडिफायर का उपयोग करने से हवा नम रहती है और सूखापन नहीं होता है। इसके अलावा, गर्दन के चारों ओर स्कार्फ़ पहनना और अचानक तापमान परिवर्तन से बचना गले की सुरक्षा में मदद कर सकता है। नियमित रूप से हाथ धोना और एलर्जी के संपर्क में आने से बचना भी गले के संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता है।