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ब्लैक फंगस से 4 गुना ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस, डॉक्टर्स से जानें लक्षण और कैसे करें बचाव

ब्लैक फंगस के चार गुना ज्यादा खतरनाक व्हाइट फंगस है। यह शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : May 21, 2021 14:08 IST
ब्लैक फंगस से 4 गुना ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस, डॉक्टर्स से जानें लक्षण और कैसे करें बचाव
Image Source : PTI ब्लैक फंगस से 4 गुना ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस, डॉक्टर्स से जानें लक्षण और कैसे करें बचाव

कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस के बाद अब व्हाइट फंगस ने दस्तक दे दी है। जिससे हर किसी की मुश्किलों बड़ गई है।  बिहार की राजधानी पटना में व्हाइट फंगस  के चार मरीज सामने आए हैं। संक्रमित मरीजों में पटना के एक फेमस स्पेशलिस्ट भी शामिल हैं। ऐसे में हर किसी के दिमाग में सवाल उमड़ रहे है कि आखिर ब्लैक फंगस से यह कैसे भिन्न है और कैसे खुद को इस फंगस से बचाया जाए। इंडिया टीवी के खास प्रोग्राम में देश के जाने माने डॉक्टर्स से जानिए व्हाइट फंगस से संबंधित हर सवाल का जवाब।

व्हाइट फंगस क्या है?

ब्लैक फंगस के चार गुना ज्यादा खतरनाक व्हाइट फंगस है। यह शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचाता है। इससे फेफड़ों में संक्रमण फैलता जाता है। इससे किडनी, मुंह, स्किन और दिमाग पर भी इसका असर नजर आता है। छोटे बच्चों पर भी व्हाइट फंगस का असर पड़ रहा है। 

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व्हाइट औप ब्लैक फंगस के लक्षणों में अंतर

व्हाइट फंगस के लक्षण

खांसी, बुखार, दस्त, फेफड़ों पर काले धब्बे , ऑक्सीजन लेवल कम होना। 

ब्लैक फंगस के लक्षण

लाल आंख, नाक से खून आना, नाक की हड्डी में दर्द, धुंधला दिखना

किन लोगों को खतरा अधिक?

व्हाइट और ब्लैक दोनों ही लो इम्यूनिटी वाले लोगों को अपना शिकार बनाता है। इसके साथ ही ब्लैक फंगस डायबिटीज, कैंसर, गंभीर बीमारी से ग्रसित या फिर आईसीयू में एडमिट मरीज को अपना शिकार बनाता है। वहीं व्हाइट फंगस को-मोंविड मरीजों को सबसे ज्यादा शिकार बना रहा है। इसके साथ ही कैंसर, अधिक ब्लड शुगर के शिकार हो। 

शरीर में कैसे पहुंचाता है व्हाइट फंगस

एम्स के प्रोफेसर डॉ कौशल वर्मा के अनुसार  व्हाइट फंगस की शुरुआत जीभ, प्राइवेट पार्ट की जगह से होती है। जिसके कारण जीभ के ऊपर व्हाइट सा हो जाता है। इसके बाद यह लंग्स, दिमाग, फूड पाइप के साथ दूसरे अंग तक पहुंचाता है।  

ब्लैक और व्हाइट फंगस से कैसे करें बचाव?

डॉ पंकज अग्रवाल के अनुसार, हमें कोरोना से बचना है। अगर कोरोना के मरीजों में .2 प्रतिशत ही ब्लैक और व्हाइट फंगस का खतरा होता है। इसलिए जरूरी है कि अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाएं। कोरोना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल ना करे। जब हमारा ऑक्सीजन लेवल नीचे जाकर निमोनिया हो रहा हो तभी स्टेरॉयड देना चाहिए। जब हालात स्थिर हो जाए तो  स्टेरॉयड की मात्रा कम दें। जिससे कि ब्लड शुगर की समस्य़ा भी ना हो। इन तरीकों से व्हाइट और ब्लैक फंगस से बच सकते हैं। 

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कोरोना से रिकवर होने के बाद भी बुखार की समस्या में स्टेरॉयड लेना सही?
एम्स के डॉ राकेश मल्होत्रा के अनुसार कोरोना से ठीक होने के एक सप्ताह बाद बुखार लगातार बना रहे, चलने में सांस फूल रही हो आदि रेड फ्लैग साइन है। ऐसे में स्टेरॉयड की जरूरत पड़ सकती हैं। ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करे।  कोरोना वायरस से की शुरुआत के 1 सप्ताह काफी महत्वपूर्ण होता है। इसमें स्टेरॉयड देने से बचना चाहिए। 

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