मई जून की गर्मी को झेल पाना आसान नहीं है। खासतौर से उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ती है। तेज गर्मी से इंसान, जानवर और पशु पक्षी भी परेशान होने लगे हैं। गर्म हवाएं और तेज धूप शरीर से सारा पानी सोख लेती है। गर्मी के दिनों में डॉक्टर हीट वेव से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं। हालांकि कई बार पानी का असर भी बेअसर होने लगता है। अब सवाल उठता है कि आखिर एक इंसान का शरीर कितना तापमान बर्दाश्त कर सकता है। आइये जानते हैं इस पर वैज्ञानिक और डॉक्टर्स की क्या राय है।
डॉक्टर्स की मानें तो एक इंसान का शरीर 37.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान झेल सकता है। फिर चाहे गर्मी हो या सर्दी शरीर का इंटरनल सिस्टम तापमान को 37.5 डिग्री सेल्सियस बनाए रखने के लिए काम करता है। दिमाग के बैक साइड वाला हिस्सा जिसे हाइपोथैलेमस कहा जाता है वो शरीर के अंदर के तापमान को रेगुलेट करने का काम करता है। इंसान का शरीर 37.5 डिग्री सेल्सियस में काम करने के लिए बना है। अगर 2-4 डिग्री ऊपर और नीचे तापमान होता है तो शरीर को कई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन ज्यादा होने पर परेशानी बढ़ सकती है।
शरीर कैसे गर्मी को कंट्रोल करता है?
- जब हमें तेज पसीना आता है और जब हम मुंह से सांस लेते हैं तो शरीर के अंदर का तापमान कंट्रोल होने लगता है।
- जब आपको गर्मी लगती है और आप खुली-हवादार जगह पर जाते हैं तो इससे शरीर के अंदर का तापमान कंट्रोल रखता है।
- जब शरीर का टेंपरेचर बढ़ता है तो ब्लड वैसेल्स चौड़ी होने लगती हैं और खून शरीर के सभी हिस्सों में आसानी से पहुंचने लगता है।
शरीर कितनी गर्मी झेल सकता है इन बातों पर निर्भर करता है?
- आप कितने समय उस टेंपरेचर के एक्सपोजर में आए हैं।
- मौसम में कितनी आद्रता है।
- पानी या पसीना हमारे शरीर से किस तरह बाहर निकल रहा है।
- आप क्या और कितनी देर फिजिकल एक्टिविटी कर रहे हैं।
- आपने जो कपड़े पहने हैं वो कैसे हैं।
ये सारी बातें भी बॉडी के बढ़े हुए टेंपरेचर को कंट्रोल करने में मदद करती हैं। तेज धूप और लू से बचना है को खूब पानी पिएं। सूरज की तेज धूप में निकलने से बचें। ह्यूमिडिटी है तो पसीना बहुत निकलता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। अचानक तेज धूप में जाने से बचें। इससे बुखार जैसी स्थिति या हारइप थर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। धीरे-धीरे टेंपरेचर बढ़ता है तो शरीर इसे आसानी से एडजस्ट कर लेता है।