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हार्ट अटैक के बढ़ते केस से लग रहा है डर? अब एक X-Ray बताएगा आने वाले 10 साल कैसा है आपके दिल का हाल

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से दिल के रोग को लेकर आने वाले दस सालों का अनुमान लगाया जा सकेगा। वह अनुमान लगा लेगा कि किसी शख्स को आने वाले दस साल में हार्ट अटैक या स्ट्रॉक आने की कितनी संभावना है।

Written By: Sushma Kumari @ISushmaPandey
Published : Dec 07, 2022 12:51 IST, Updated : Dec 07, 2022 13:06 IST
हार्ट अटैक
Image Source : FREEPIK हार्ट अटैक

पिछले कुछ महीनों में दिल का दौरा पड़ने से जा रही जान से हर कोई दहशत में है। सबकी जुबान पर सिर्फ एक ही सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है? हार्ट अटैक अभी तक केवल बुजुर्ग लोगों के लिए ही खतरा माना जाता था लेकिन अब सबसे बड़ी चिंता ये है कि युवा भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। इन दिनों हंसते, खेलते,  चलते-फिरते, जिम करते, डांस करते अचनाक से दिल का दौरा पड़ने और फिर मौत हो जाने के कई मामले सामने आने लगे हैं। इस तरह की घटनाओं ने लोगों में डर पैदा कर दिया। हर कोई अपने दिल का हाल जानने के लिए उत्सुक हैं। 

इस बीच वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टेक्निक खोज निकाली है जिससे सुन लोगों का डर काफी हद तक कम हो सकता है। दरअसल, इस टेक्निक का नाम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, जी हां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से दिल के रोग को लेकर आने वाले दस सालों का अनुमान लगाया जा सकेगा। वह अनुमान लगा लेगा कि किसी शख्स को आने वाले दस साल में हार्ट अटैक या स्ट्रॉक आने की कितनी संभावना है। सबसे कमाल की बात यह है कि केवल एक ही एक्स-रे से सारे अनुमान लगा लेगा। आपको बार-बार एक्स-रे करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

11430 मरीजों पर की गई स्टडी

रिपोर्ट की मानें तो इस तकनीक का नाम CXR-CVD रिस्क है जिसकी खोज अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने की है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस तकनीक के लिए 11430 मरीजों का अध्ययन किया है। इन सभी मरीजों के सीने का एक्स-रे हुआ था।  इस एक्स-रे के बाद वह स्टेटिन थैरेपी के लायक हो गए। इस थैरेपी से मरीजों का दिल के रोग का खतरा कम हो जाता है। 

इस स्टडी से जो परिणाम निकलकर आए उन्हें उत्तरी अमेरिका रेडियोलॉजिकल सोसायटी (RSNA) की एनुअल मीटिंग में रखा गया। बैठक में कहा गया कि यह एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जिसे एक्स-रे की फिल्म को गहराई से देखने के लिए ट्रेंड किया जा सकता है। ताकि, दिल के रोग का पैटर्न पता चल सके। 

जारी की गई गाइडलाइन

फिलहाल इस अध्ययन को लेकर जो गाइडलाइन जारी की गई है उसमें कहा गया है कि अभी दस साल तक गंभीर दिल की मरीजों को लेकर अनुमान लगाया जा सकता है। साथ ही यह अनुमान भी लगाया जा सकता है कि उन्हें स्टेटिन थैरेपी की जरूरत है या नहीं। इस तकनीक में व्यक्ति की उम्र, जेंडर, ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, स्मोकिंग, टाइप-टू डायबिटीज और ब्लड टेस्ट कराए जाते हैं।

 

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