Happy women's day 2024: इंटरनेशनल वुमन डे है आज। आज के दिन पूरा विश्व हर क्षेत्र में महिलाओं के बलिदान और उपलब्धियों को याद करता है। लेकिन, आज हम बात करेंगे महिलाओं की सेहत की और जानेंगे कि ऐसी कौन सी समस्याएं हैं जिनसे वो पीड़ित हैं। ऐसी कौन सी दिक्कतें हैं जिनके बारे में वो कम ध्यान देती हैं और फिर इसका शिकार हो जाती हैं। तो, आइए खुद महिला डॉक्टरों से जानते हैं महिलाओं की सेहत का हाल। इसके लिए हमने तीन डॉक्टरों से बात की जिनमें शामिल हैं डॉ. मनजीता नाथ दास, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, नारायणा हॉस्पिटल, गुरूग्राम, डॉ उपासना पालो - गाइनेकोलॉजि ऑंकोलॉजी डिपार्मेंट, एन.एच,आर एन टैगोर हॉस्पिटल , कोलकाता और डॉ रजनी बगई, कंसल्टेंट- गाइनेकोलॉजिस्ट एंड ओब्सटीट्रिशियन, नारायणा हॉस्पिटल, हावड़ा।
इन 6 समस्याओं से जूझ रही हैं दुनियाभर की महिलाएं
डॉ. मनजीता नाथ दास, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, नारायणा हॉस्पिटल, गुरूग्राम के अनुसार, दुनियाभर की महिलाएं कुछ समस्याओं से ज्यादा पीड़ित हैं और ऐसा है कि कभी न कभी एक लड़की या फिर एक फिर महिला इन समस्याओं की शिकार हो ही जाती है। जैसे
1. पीरियड्स, मेनोपॉज और फर्टिलिटी से जुड़ी दिक्कतें
2. मूत्रमार्ग संक्रमण (यूटीआई) से जुड़ी समस्याएं
3. यौन संचारित रोग
4.स्तन कैंसर
5. सर्वाइकल कैंसर
6. दिल से जुड़ी बीमारियां
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महिलाओं की समस्याओं का कारण
डॉ. मनजीता नाथ दास की मानें तो, पुरुषों की तुलना महिलाओं में दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। महिलाओं में स्ट्रोक के मामले भी अधिक रहते हैं जिनका एक बड़ा कारण हैं
-गंर्भनिरोधक दवाएं
-हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
-गर्भावस्था के चलते स्ट्रोक का खतरा
-अधिक तनाव से बांझपन होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इन समस्याओं से भी पीड़ित हैं महिलाएं
बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में गठिया की समस्या होने का खतरा अधिक रहता है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं अवसाद और चिंता से अधिक प्रभावित होती हैं प्रसव के बाद महिलाओं में अवसाद का डर बना रहता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी एक जटिल प्रक्रिया है आमतौर पर यूटीआई और बैक्टीरिया संक्रमण गर्भधारण की क्षमता को प्रभावित नहीं करते लेकिन ध्यान न देने पर इनके हानिकारक परिणाम हो सकते हैं। प्रेगनेंसी के पहले और बच्चे के जन्म के बाद सही देखभाल और जागरूकता की कमी के चलते मां के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं युवा महिलाओं में एचआईवी का खतरा अधिक रहता है। इसी तरह एचपीवी या अन्य यौन संचारित रोग, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और कम उम्र में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े हुए अहम मुद्दे हैं।
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स्तन और सर्वाइकल कैंसर से हर साल 5 लाख महिलाओं की होती है मौत!
डॉ उपासना पालो - गाइनेकोलॉजि ऑंकोलॉजी डिपार्मेंट, एन.एच,आर एन टैगोर हॉस्पिटल , कोलकाता ने बताया कि पूरे विश्व में भले ही महिलाओं की आबादी बढ़ रही है, लेकिन महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर जरुरी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हर साल लगभग 5 लाख महिलाएं स्तन और सर्वाइकल कैंसर के चलते मौत का शिकार हो जाती हैं, अगर इन कैंसर का सही समय से पता चल जाए तो ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए समय-समय पर स्क्रीनिंग करवाएं।
जरूरी है सावधानी और जागरूकता
डॉ रजनी बगई, कंसल्टेंट- गाइनेकोलॉजिस्ट एंड ओब्सटीट्रिशियन, नारायणा हॉस्पिटल, हावड़ा के अनुसार, महिलाओं में होने वाले घातक स्तन और सर्वाइकल कैंसर के प्रति जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा इन कैंसर की स्क्रीनिंग, एचपीवी के टीकाकरण में आसानी और सस्ते इलाज की उपलब्धता मृत्यु दर को कम करने के लिए बहुत जरूरी है। इसी के साथ गर्भनिरोधक के प्रयोग के बारे में सही जानकारी और सही यौन शिक्षा, प्रेगनेंसी के दौरान खास देखभाल, जांच, टीकाकरण, जरूरी पोषण, एक्सरसाइज और मानसिक सेहत को सही रखने में मददगार है।