बारिश के दिनों में गिलोय का पौधा तेजी से बढ़ता है। गिलोय की बेल किसी भी गमले में, बोलत में या फिर जमीन में आसानी से बढ़ने लगती है। आयुर्वेदिक में गिलोय को एक अहम जड़ी-बूटी माना गया है। गिलोय का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसके अलावा बुखार, संक्रमण और मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज में गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है। गिलोय का वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया है इसे संस्कृत में गुडूची और अमृतावल्ली या अमृता भी कहते हैं। कोरोना काल में गिलोय का इस्तेमाल काफी किया गया था। आइये जानते हैं कौन सी बीमारियों में गिलोय फायदेमंद साबित होता है?
इन बीमारियों में असरदार काम करता है गिलोय
- बुखार
- डायबिटीज
- दमा
- पेचिश
- आयुर्वृद्धि विरोधक
- दस्त
- स्किन इंफेक्शन
- पेशाब संबंधी समस्याएं
- गाउट
- पीलिया
- एनोरेक्सिया
इम्यूनिटी बूस्टर है गिलोय
आचार्य श्री बालकृष्ण की मानें तो गिलोय में भरपूर एंटीऑक्सीडेंट होते हैं प्रभाव होते हैं, जो ऑक्सीडेटिव कोशिका को डैमेज होने से रोकते हैं। गिलोय में कुछ ऐसे यौगिकों भी होते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और ओवेरियन कैंसर सेल्स से लड़ने में मदद करते हैं। गिलोय का सेवन करने से शरीर किसी भी एलर्जी से लड़ने की क्षमता विकसित कर लेता है। गिलोय में एंटी-एजिंग गुण भी पाए जाते हैं। इसके लिए गिलोय के तने को पीसकर पाउडर बना लें और इसे पानी और शहद के साथ सेवन करें। इससे पाचन संबंधी समस्याओं, कई संक्रमणों, पेशाब से जुड़ी समस्याओं और पानी से होने वाली बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। जब आप गिलोय का सेवन हर्बल अर्क के रूप में करते हैं तो इससे लिवर मजबूत बनता है। बढ़ते तनाव, सर्दी जुकाम और आंखों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है। शरीर में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में भी गिलोय मदद करता है। आयुर्वेद में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी बीमारियों के इलाज में भी गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है।
कैसे करें गिलोय का सेवन
आप चाहें तो गिलोय के ताजा पत्तों को पानी में उबालकर पी सकते हैं। गिलोय का रस भी बाजार में मिलता है। गिलोय के तने को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। गिलोय की लकड़ियों को सुखाकर भी स्टोर कर सकते हैं। बारिश के दिनों में बेहतर होगा कि आप गिलोय के पत्तों को ऐसे ही चबाकर खा लें।