Highlights
- ओमिक्रॉन से बचाव के लिए इन बातों का रखें विशेष ध्यान।
- मूल वायरस और डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले 70 गुना तेजी से मल्टीप्लाई करता है ओमिक्रॉन।
- रिसर्च के मुताबिक ओमिक्रॉन से नहीं होता गंभीर लक्षण वाली कोरोना।
दुनियाभर में कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके रूप लगातार बदल रहे हैं। कोविड की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंट का खतरा अभी पूरी तरह से टला भी नहीं था कि नए वेरिएंट ने लोगों को डराना शुरू कर दिया। डेल्टा के बाद अब ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आने लगे हैं। अब देश के कई राज्यों में इसके मरीज पाए जा चुके हैं।
हाल ही में हुए रिसर्च में इस बात का पता चला है कि ओमिक्रॉन डेल्टा और कोविड के मूल स्ट्रेन से 70 गुना ज्यादा तेजी से फैलता या संक्रमित करता है। इसके अलावा ये व्यक्ति के श्वसनी (Bronchus) पर असर डालता है, ये वो रास्ता हैं जिसके जरिए हवा फेफड़ों तक पहुंचती है। लेकिन, राहत की बात ये है कि इस वेरिएंट का प्रभाव मूल वायरस और डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले 10 गुना तक कम रहता है। इससे ये साफ है कि ओमिक्रॉन होने के बावजूद गंभीर लक्षण वाला कोरोना नहीं होगा।
वैक्सीनेशन के बाद लोगों के मन में कोरोना का डर काफी कम हो गया है और वो लापरवाह भी हो गए हैं। सरकार और स्वास्थ्य विशेषज्ञों की ओर से लगातार कोविड नियमों को पालन करने की अपील के बावजूद लोग इसकी धज्जिया उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं। बड़ी संख्या में वैक्सीन लगने के बावजूद अगर वायरस अपना रूप बदल रहा है तो ये चिंता का विषय है। इसलिए डॉक्टर्स भी नियमों को पाल करने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं कि ओमिक्रॉन से बचने के लिए कौन सी बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।
फेफड़ों की तुलना में श्वसनी पर ज्यादा असर डालता है ओमिक्रॉन वैरिएंट, जानिए क्या कहती है रिसर्च?
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल के मुताबिक इन बातों के प्रति सावधान रहकर खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है-
- टीकाकरण अवश्य करवाएं
- घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना न भूलें।
- बड़ी सभाओं में जाने से बचें।
- सफर पर जाते समय मास्क पहन कर रखें, हाथों को समय-समय पर धोते रहें।
पढ़ें अन्य संबंधित खबरें-