Wednesday, December 18, 2024
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भारत में बना पहला डायबिटीज बायोबैंक, जानिए कहां है और कैसे इससे शुगर पर लगाम लगाने में मिलेगी मदद

Diabetes Biobank In India: डायबिटीज यानि मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं है। सिर्फ इसे कंट्रोल किया जा सकता है। भारत में युवाओं में शुगर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। जिसे देखते हुए पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया गया है।

Written By: Bharti Singh @bhartinisheeth
Published : Dec 18, 2024 14:34 IST, Updated : Dec 18, 2024 14:36 IST
भारत में पहला डायबिटीड बायोबैंक
Image Source : FREEPIK भारत में पहला डायबिटीड बायोबैंक

भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। अभी तक उम्रदराज लोग ही डायबिटीज के शिकार होते थे, लेकिन अब युवा सबसे ज्यादा इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। बिगड़ती जीवनशैली और खान-पान की आदतों की वजह से युवाओं में डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है। इसे देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) ने मिलकर भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक बनाया है, जो चेन्नई में है। इस बायोबैंक का उद्देश्य है डायबिटीज पर ज्यादा से ज्यादा शोध करना और इस बीमारी का सही इलाज खोजना। जानते हैं इस बायोबैंक से क्या फायदा होगा?

डायबिटीज बायोबैंक बनने से क्या होगा?

इस बायोबैंक का उद्देश्य मधुमेह के कारणों को जानकर उनका हाई टेक रिसर्च के माध्यम से इलाज करना है। यहां डायबिटीज को लेकर तमाम तरह के रिसर्च किए जाएंगे। जिससे मधुमेह के उपचार को आसान बनाया जा सकता है। एमडीआरएफ के अध्यक्ष डॉ. वी. मोहन ने कहना है कि बायोबैंक डायबिटीज की शुरुआती स्टेज में पहचान करने और इलाज को बेहतर बनाने के लिए नए बायोमार्कर की पहचान करने में मदद करेगा। इससे भविष्य में रिसर्त के लिए जरूरी डेटा मिल पाएगा।

डायबिटीज बायोबैंक बनने के फायदे?

बायोबैंक बनाने से डायबिटीज को कंट्रोल करने और सही इलाज के बारे में रिसर्च करने में मदद मिलेगी। इससे डायबिटीज के खिलाफ दुनिया की लड़ाई में भारत की भूमिका भी अहम हो जाएगी। भारत इस बायोबैंक के जरिए दूसरे देशों की भी मदद कर सकता है और हमारे सहयोगी देशों से भी मदद ले सकता है। यह रिपॉजिटरी हाई-टेक सैंपल स्टोरेज और डेटा-शेयरिंग तकनीकों का उपयोग करके सस्ते और प्रभावी उपचार खोजने में मदद करेगा।  

डायबिटीज बायोबैंक अध्ययन क्या कहता है

डायबिटीज बायोबैंक की पहली स्टडी ICMR-INDIAB है, जिसमें 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 1.2 लाख से ज़्यादा लोग शामिल थे। इसमें भारत में बड़ी संख्या में डायबिटीज और प्री-डायबिटीज के मरीज शामिल किए गए। भारत के लिए डायबिटीज एक महामारी की तरह है, जिससे 10 करोड़ से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं। ज़्यादातर विकसित राज्यों में डायबिटीज़ के मरीज़ों की संख्या में तेज़ी से बढ़ रही है। ICMR-YDR की स्टडी की माने तो यह अपनी तरह का पहला राष्ट्रीय रजिस्ट्री है जो डायबिटीज़ पर केंद्रित है और बहुत जल्दी शुरू हो गया।

दूसरी स्टडी में युवा लोगों में पाए जाने वाले शुगर के मामलों पर नज़र रखी गई। इस स्टडी में देश भर के 5,500 से ज़्यादा लोगों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के मामले युवाओं में ज्यादा पाए जा रहे हैं। ऐसे में देश के युवाओं को इस खतरनाक और लाइलाज बीमारी से बचाने में डायबिटीज बायोबैंक की भूमिका काफी अहम हो सकती है।

 

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