कुछ दिन पहले, स्वीडन ने बच्चों को लेकर बड़ा फैसला लिया था स्वीडन में अब 2 साल के बच्चों के सामने फोन ऑफ रखना होता है वैसे 'फोन ऑफ' वाली एडवाइजरी की जरूरत तो अब भारत को भी है परीक्षा पे चर्चा में प्रधानमंत्री मोदी भी एक्सेस स्क्रीन टाइम को लेकर चिंता ज़ाहिर कर चुके हैं।बच्चों के लिहाज से युवाओं को ध्यान में रखकर स्टूडेंट्स-टीचर्स-प्रोफेशनल्स किसको कितनी देर का स्क्रीन टाइम चाहिए। कहां और कब फोन बंद रखना है ये तय करने का वक्त आ गया है। अब हर घर के बेबी को स्मार्ट फोन पसंद है बिना फोन देखे वो खाना नहीं खाता। खेलने के लिए खिलौने नहीं अब उन्हें फोन चाहिए उनमें अब आउटडोर गेम्स का तो concept ही खत्म हो रहा है और इसकी वजह से बच्चों के दिमाग पर निगेटिव चीजें हावी हो रही हैं।
मेंटल और फिजिकल ग्रोथ धीमी हो रही है स्लीप डिसऑर्डर, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर की गिरफ्त में आ रहे हैं। यहां तक की 22% बच्चे ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं। मोटापा, टाइप टू डायबिटीज, दिल से जुड़ी बीमारी, वीक आई मसल्स, हियरिंग प्रॉब्लम अब ये छोटे-छोटे बच्चों की परेशानी बन गई है।बच्चों को छोड़िए, बड़े-बुजुर्ग खुद भी स्मार्ट फोन के ट्रैप में फंसे हैं। चिंता की बात तो अब ये भी है कि ज्यादातर लोग ड्राइविंग करते हुए मोबाइल फोन यूज करते हैं, नतीजा इससे होने वाले एक्सीडेंट से मौत के मामले चार गुना बढे हैं। ऐसे में जरूरत है मोबाइल-गैजेट्स के बेज़ा इस्तेमाल से बचने की और साथ में वक्त-वक्त पर डिजिटल डिटॉक्स की। आज स्वामी जी भी बताने वाले हैं कि च्यवन ऋषि की तरह 100 साल निरोगी जीवन कैसे जीएं
डिजिटल डिटॉक्स के लिए 4 उपाय
सुबह
- नोटिफिकेशन ऑफ रखें
- उठते ही फोन ना देखें
- वर्क आउट जरूर करें
दोपहर
- खाने के वक्त
- 'नो फोन रुल'
- परिवार साथ हों तो फोन दूर रखें
शाम
- बच्चों के साथ खेलने में फ्लाइट मोड ऑन रखें
- ईवनिंग वॉक पर जरूर जाएं
- फोटो खींचते वक्त फ्लाइट मोड पर रखें
रात
- ऑडिबल एप्स का इस्तेमाल करें
- सोने से पहले फोन इस्तेमाल ना करें
- मोबाइल को बिस्तर से दूर रखें
फोन का मिसयूज - पेरेंट्स कन्फ्यूज
- बच्चों के फोन यूज से अंजान माता पिता
- 90% नहीं देते बच्चों पर ध्यान
स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम
- नजर कमजोर - ड्राईनेस
- पलकों में सूजन - रेडनेस
- तेज रोशनी से दिक्कत
- एकटक देखने की आदत
आंखों का दुश्मन - स्मार्टफोन
- ब्लू लाइट --->रेटिना डैमेज--->नज़र कमज़ोर
कानों का दुश्मन - स्मार्टफोन
- सिरदर्द ईयरफोन--->
- तेज शोर--->बहरापन
- अनिद्रा
WHO की रिपोर्ट
- तेज शोर से घट रही सुनने की ताकत
- पूरी दुनिया में 150 करोड़ लोगों को हियरिंग लॉस
- 2050 तक ढाई सौ करोड़ लोग बहरेपन के शिकार