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सोलर एनर्जी से दूर होगी 100 बीमारियां, स्वामी रामदेव से जानिए सूर्य नमस्कार करने का सही तरीका

स्वामी रामदेव से जानिए कैसे योग और सोलर एनर्जी के द्वारा खुद को मजबूत बना सकते हैं।

Written by: India TV Health Desk
Updated : November 10, 2021 21:27 IST
Easy and right step guide for Surya namaskar
Image Source : INDIA TV Easy and right step guide for Surya namaskar

हमारे शरीर पर ग्रह में मौजूद तमाम चीजों का जाने-अनजाने असर पड़ता है। चाहे वो धरती-आकाश हो, हवा-पानी हो या फिर सूरज की रोशनी हो। हमारी सेहत इन्हीं एलिमेंट से मिलकर बनती हैं। लेकिन बदलते लाइफस्टाइल की वजह से। हम नेचर से लगातार दूर होते गये। नतीजा शरीर में तमाम तरह कि डेफिसिएंशी होती गई।

अब विटामिन D की ही बात करें तो भारत में 70 से 80 फीसदी लोगों में इसकी कमी है। विटामिन D  कम हुआ तो B12 का इम्बैलेंस होना तय है। इसके साथ-साथ कैल्शियम की कमी भी बड़ी प्रॉब्लम है। 

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इन सबका इलाज बहुत आसान है और वो है थोड़ा कुदरत के करीब जाना। थोड़ी देर धूप में बैठना। हर दिन कुछ देर योग करना। स्वामी रामदेव  से जानिए योग और सोलर एनर्जी के द्वारा खुद को मजबूत बना सकते हैं। 

सूरज की रोशनी से दूर होगी ये बीमारी 

  1. डायबिटीज
  2. एनीमिया
  3. ब्रेस्ट कैंसर
  4. डिमेंशिया
  5. स्किन डिजीज

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विटामिन-D की कमी से होने वाली  बीमारियां

  1. थकान
  2. डिप्रेशन 
  3. हार्ट की बीमारी
  4. ऑस्टियोपोरोसिस
  5. कैंसर
  6. बालों का झड़ना 

कैसे करें सूर्य त्राटक?

सूरज को 5 मिनट देखें। फिर 2 मिनट तक आंखें बंद रखें। हाथों को मलते हुए आंखों पर रखें । आंखों को पानी से धो लें।

सूर्य त्राटक के फायदे 

  1. कई बीमारियों से बचाता है
  2. नेगिटिव एनर्जी दूर होती है 
  3. विटामिन -D मिलता है
  4. आंखों की रोशनी बढ़ती है
  5. डिमेंशिया-डिप्रेशन में फायदा
  6. वजन घटाने में मददगार 

सूर्य नमस्कार के फायदे 

  1. बॉडी डिटॉक्स होती है 
  2. मोटापा दूर होता है 
  3. रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है 
  4. डिप्रेशन दूर होता है 
  5. लंग्स की कपैसिटी बढ़ती है 

सूर्य नमस्कार के 12 आसन

1- प्राणामासन

इस आसन के लिए बिल्कुल सीधे खड़े हो जाए। दोनों हाथों को जोड़कर सीने से सटा लें और लंबी-लंबी सांस लें। इस आसन को करने से मन को शांति के साथ तनाव से मुक्ति मिलती है। 

2- पादहस्तासन
सांस अंदर भरकर हाथों को धीमे-धीमे पीछे लेकर जाएं और थोड़ा झुके। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथों की उगुंलियां सटी हुए हुए कान के पास से पीछे जाएं। हाथों को पीछे करते हुए आप भी पीछे की ओर झुक जाएं।  

3- हस्त पादासन
हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। अब सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहें कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों। इसके साथ ही सिर से घुटनों को छुने की कोशिश करें। 

4- अश्व संचालनासन
हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और दाएं पैर को आगे लगाते हुए घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें। इसके साथ ही बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं। 

5- पर्वतासन 
अश्व संचालनासन के बाद सीधे पर्वतासन करें। इसके लिए दोनों पैरों को पीछे ले जाकर कमर को थोड़ा उठाएं और पंजो पर थोड़ा जोर दें। सिर झुकाकर नाभि को देखें।

6- साष्टांगासन
अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।  इस बात का ध्यान रखें कि लेटना नहीं है। बस शरीर को जमीन में टच कराना है। 

7- भुजंगासन
साष्टांगासन के बाद सीधे भुजंगासन करते हैं। इसमें कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं। इसमें धीरे-धीरे सांस लेते रहें। 

8- अधोमुख सवासन
इस आसन को भुजंगासन के बाद तुरंत करते हैं। इस आसन में सांस छोड़ते हैं। इस आसन के लिए कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं और एड़ियों को जमीन में टिका कर रखें यानी आपके शरीर का आकार V की तरह होना चाहिए। 

9- वामअश्व संचालन
अब भी इस मुद्रा में और इसमें बाएं पैर को आगे रखें और दाएं पैर को आगे करके ऊपर की ओर देखें।   

10- पादहस्तासन
अब इस आसन में अब सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों। इसके साथ ही सिर से घुटनों को छुने की कोशिश करें। 

11- हस्तउत्तनासन 
इस आसन को अर्धचंद्रासन भी कहा जाता है। पाहहस्तासन के बाद सीधे इस आसन को करेंगे। इसमें अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आप आधे चांद का आकार बनाएंगी।

12- चतुरंग दंडासन 
इस आसन में आप फिर से पहली स्थिति में आ जाएं यानी दोनों हाथों जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं।

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