हमारा सांसे लेना हमारी बॉडी की रियल टाइम जानकारी देता है। जब आप तनाव में होते हैं तो आपको पता भी नहीं चलता कि आपके सांस लेने का तरीका कैसे बदल जाता है। आप चेस्ट के बदले डायफॉर्म से ज्यादा सांस लेने लगते हैं। सांसें तेज हो जाती है जो गहरी नहीं होती क्योंकि स्ट्रेस कंडीशन आपके ब्रेन को ये मैसेज भेजता है कि आप खतरे में हैं। जबकि आप बड़ी आसानी से इस सिचुएशन को बदल सकते हैं, बस समुंदर की आती-जाती इन लहरों को देखकर। इसके लिए कुछ देर consciously अपनी ब्रीदिंग को चेंज करना होगा। आती लहरों के साथ सांस भरें और लौटती लहरों के साथ छोड़ दें। ये गांठ बांध लीजिए ये HOLISTIC LIFESTYLE अपनाना बहुत जरूरी है।
अगर आप चाहते हैं कि अस्पतालों के चक्कर ना लगे और ये सब होगा बस नेचर के करीब जाने से नेचुरल लाइफ स्टाइल अपनाने से। वैसे भी मौसम में उतार-चढ़ाव बना हुआ है सेहत के लिहाज से बेहद सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि सुबह-शाम चुभने वाली ठंड तो दोपहर आते-आते गर्मी लगने लगती है और इसी मौसम में वायरल-बैक्टीरिया-फंगस सबसे ज्यादा अटैक करते हैं। कमजोर इम्यूनिटी, एलर्जी, सांसों की दिक्कत, कमजोर लंग्स, टॉन्सिल और साइनस तो वैसे ही इस मौसम बढ़ जाते हैं। तो बस योग-आयुर्वेद को फॉलो कीजिए क्योंकि अब तो मॉर्डन मेडिकल साइंस भी ये मानती है कि ये बदलते मौसम की बीमारियों को दूर रखने में 100% फायदेमंद है।तो चलिए।।।तमाम मौसमी परेशानी को योग के जरिए दूर करते हैं।
India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्पेशल स्टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें हेल्थ सेक्शन