दीपावली उत्साह और रोशनी का पर्व है। दो साल तक कोरोना महामारी के चलते इस त्योहार पर उत्साह पहले के मुकाबले कम रहा है, इस बार हालात सुधरे हैं और पूरा देश इसे पूरे उत्साह के साथ मनाने को तैयार है। इस मौके पर खास तौर पर सतर्क रहने की भी जरूरत है क्योंकि इस मौके पर होने वाली आतिशबाजी के धुएं से आंखों को खास नुकसान होने की आशंका रहती है। छत्तीसगढ़ में आमजन को जहां एहतियात बरतने की सलाह दी गई है तो उपचार के इंतजाम भी किए गए है। छत्तीसगढ़ के चिकित्सकों का मानना है कि उमंग के उत्सव में हमारी जरा सी लापरवाही रंग में भंग डाल सकती है। त्योहार के दौरान खान-पान, दिनचर्या और इसे मनाने के तरीकों को लेकर सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है। दीपावली के इस त्योहार में मधुमेह के साथ वजन और आंखों की सेहत को लेकर हमेशा सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य विभाग के महामारी नियंत्रण संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया कि दीपावली में पटाखों को लेकर बरती गई लापरवाही के कारण हाथ और उंगली के बाद प्रभावित होने वाला दूसरा सबसे आम अंग हैं आंखें। पटाखों के धुंएं के कारण आंखों में जलन-चुभन के साथ लालिमा होने का खतरा होता है। इसके अलावा पटाखों से लगने वाली सामग्री आंखों में घाव, रक्त के थक्के बनने या पुतली को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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बोतल में जलाए जाने वाले रॉकेट लोगों के चेहरों पर उड़कर लग जाते हैं जिसके कारण आंखों में चोट के सबसे ज्यादा मामले देखे जाते हैं। पटाखों के नजदीक में फटने से आंखों की रोशनी भी खराब हो सकती है।
दीपावली के दौरान आंखों से संबंधित किसी भी प्रकार की आपात चिकित्सा के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर चिकित्सालय एवं एम्स रायपुर में 24 घंटे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध रहेगी।
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चिकित्सकों की सलाह है कि पटाखे जलाते समय सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही नहीं की जानी चाहिए। बच्चों द्वारा आतिशबाजी के समय बड़े लोगों को निगरानी रखनी चाहिए। पटाखे हमेशा शरीर से दूर रखकर ही जलाएं। आतिशबाजी वाले क्षेत्र से सभी ज्वलनशील चीजों को हटा लें।
पटाखा जलाने के लिए लंबी डंडी का प्रयोग करें, जिससे इससे होने वाले धमाके से हाथों या आंखों पर कोई असर न हो। आंखों को सुरक्षित रखने के लिए आतिशबाजी करते समय सुरक्षात्मक चश्मे पहनें। अनार जैसे पटाखों से आंखों और चेहरों पर चोट के सबसे ज्यादा मामले देखे जाते हैं। इसे हमेशा दूर से ही जलाएं।