Bird Flu Outbreak: बर्ड फ्लू, एक वायरल बीमारी है जो कि एवियन इन्फ्लूएंजा (H5N1) वायरस के कारण पक्षियों मे फैलता है। हर साल इसके कारण हजारों पक्षियों की जान लेनी पड़ती है। पर इस साल बर्ड फ्लू के मामलों ने इतिहास बना दिया है। इस साल अकेले अमेरिका में 50.54 मिलियन यानी कि 5 करोड़, 5 लाख पक्षियों का सफाया कर दिया है, जिससे यह इतिहास में देश का सबसे घातक प्रकोप बन गया है। वहीं, भारत में भी पिछले एक हफ्ते में बर्ड फ्लू के मामले तेजी से बढ़े हैं। बीते हफ्ते ही केरल में अकेले 20 हजार से ज्यादा पक्षियों को मारने का आदेश दिया जा चुका है।
अमेरिका में बर्ड फ्लू का सबसे बड़ा प्रकोप
दरअसल, अमेरिकी कृषि विभाग के आंकड़े सामने आए हैं जिससे मालूम होता है कि ये साल अमेरिकी इतिहास में बर्ड फ्लू के प्रकोप का सबसे बड़ा साल था। इस साल इस वायरस के कारण मुर्गियों, टर्की और अन्य पक्षियों की सबसे ज्यादा मौत हुई। इससे पहले साल 2015 में एवियन-फ्लू के प्रकोप में मरने वाले 50.5 मिलियन पक्षियों के पिछले रिकॉर्ड में सबसे ऊपर है।
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यूएसडीए डेटा के अनुसार अमेरिका में यह प्रकोप फरवरी में शुरू हुआ जो, 46 राज्यों में पोल्ट्री और गैर-पोल्ट्री पक्षियों में फैला। बता दें कि बत्तख जैसे जंगली पक्षी अपने मल, पंख या मुर्गे के सीधे संपर्क के माध्यम से सबसे पहले एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस को प्रसारित करते हैं और फिर ये दूसरे पक्षियों में फैलने लगता है। सरकारी अधिकारी विशेष रूप से संक्रमणों को रोकने के लिए नई सिफारिशें विकसित करने की उम्मीद में टर्की फार्मों में संक्रमणों का अध्ययन कर रहे हैं। संक्रमित होने के बाद अक्सर पक्षी मर जाते हैं। एक पक्षी के पॉजिटिव आने के बाद बीमारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पूरे झुंड, जो अंडे देने वाले मुर्गी फार्मों में दस लाख पक्षियों के ऊपर हो सकते हैं, को भी मार दिया जाता है।
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केरल में 20 हजार से ज्यादा पक्षियों को मारने का आदेश
दरअसल, केरल में में कई पक्षियों की मौत के बाद प्रशासन ने 20,471 बत्तखों को मारने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं, यहां केंद्र की एक टीम भी भेजी गई है। साथ ही मुर्गी, बटेर और कई प्रकार के घरेलू पक्षियों के अंडे और मांस को खाने से बचने को भी कहा गया है। साथ ही केंद्र सरकार अलर्ट पर है।
वहीं, यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का सुझाव है कि लोगों को पक्षियों से बचना चाहिए, खास कर जो बीमार दिखते हैं या मर गए हैं, हालांकि इसका प्रकोप आम जनता के लिए कम जोखिम वाला है।