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कोरोना वायरस: होम आइसोलेशन के समय हो ये परेशानी तो तुंरत डॉक्टर से करें संपर्क

होम आइसोलेशन में रहने वालों को समय-समय पर ऑक्सीजन स्तर की जांच करते रहना चाहिए। इस पर निगरानी बहुत जरूरी है।

Written by: IANS
Published on: October 10, 2020 7:09 IST
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Image Source : INSTAGRAM/MALAYALAMSAMAYAM कोरोना वायरस: होम आइसोलेशन के समय हो ये परेशानी तो तुंरत डॉक्टर से करें संपर्क

कोरोना का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर होता है। ऐसे में मरीजों को जल्दी-जल्दी सांस लेनी पड़ सकती है। इस कारण थकान महसूस होती है। अपने इम्यूनिटी सिस्टम को बढ़ाने के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। इसके अलावा ऑक्सीजन लेवल पर विशेष निगरानी करने की जरूरत है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व कोरोना टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. सूर्यकांत ने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने वालों को समय-समय पर ऑक्सीजन स्तर की जांच करते रहना चाहिए। इस पर निगरानी बहुत जरूरी है।

उनका कहना है कि ऑक्सीजन का स्तर 95 से अधिक है तो परेशान होने की कोई बात नहीं लेकिन यह 90 से 94 के बीच पहुंचता है तो तत्काल कंट्रोल रूम या चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। ऑक्सीजन लेवल नीचे आने से परेशानी बढ़ सकती है।

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डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि होम आइसोलेशन की गाइडलाइन में स्पष्ट निर्देश है कि कोरोना उपचाराधीन एवं देखभाल करने वाले व्यक्ति नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे और कोई बदलाव महसूस करेंगे तो चिकित्सक को अवगत कराएंगे। इसमें यह भी हिदायत है कि शरीर में ऑक्सीजन की संतृप्तता (सेचुरेशन) 95 प्रतिशत से कम हो या सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है तो कंट्रोल रूम से संपर्क करना चाहिए। ऐसा न करना घातक साबित हो सकता है। इसके अलावा सीने में लगातार दर्द व भारीपन होना, मानसिक भ्रम की स्थिति अथवा सचेत होने में असमर्थता, बोलने में दिक्कत, चेहरे या किसी अंग में कमजोरी और होंठों व चेहरे पर नीलापन आने की स्थिति में भी कंट्रोल रूम को या चिकित्सक को बताना जरूरी होगा।

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डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि होम आइसोलेशन में रहने वाले लक्षण विहीन कोविड पॉजिटिव मरीजों को एक किट खरीद कर अपने पास रखनी होती है, जिसमें पल्स आक्सीमीटर, थर्मामीटर, मास्क, ग्लब्स, सोडियम हाइपोक्लोराईट साल्यूशन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाली वस्तुएं शामिल होती हैं।

देखभाल करने वालों के लिए हाथों की सफाई व मास्क बहुत जरूरी है। उपचाराधीन या उसके किसी वस्तु के संपर्क में आने के बाद हाथों की सफाई अवश्य करें।

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