भारत में कोरोना का प्रकोप सबसे ज्यादा जिन शहरों में है वो दिलवालों की दिल्ली और मायानगरी मुंबई है। इन दोनों ही जगहों पर सबसे ज्यादा लोगों कोरोना की चपेट में हैं। दिल्ली की बात करें तो यहां पर कोरोना मरीजों का आंकड़ा 112494 है। जहां एक ओर ये बढ़ते आंकड़े किसी की भी दिल की धड़कनें बढ़ा देंगे तो वहीं कोरोना मरीजों के ठीक होने का आंकड़ा आपके दिल को थोड़ी राहत भी देगा। दिल्ली में बीते 24 घंटे में 2276 मरीज ठीक हुए हैं। इन आंकड़ों के साथ अब दिल्ली में 89968 कोरोना वायरस मरीज रिकवर हो चुके हैं। वहीं मरने वालों का आंकड़ा 3371 है।
दिल्ली में कोरोना संक्रमित लोगों की मौत का आंकड़ा फिर भी कम है। इसका कारण सुरक्षा कवच पल्स ऑक्सीमीटर है। इस पल्स ऑक्सीमेटर को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट किया है। ट्वीट में लिखा- 'दिल्ली में होम आइसोलेशन के दौरान कोरोना मरीजों की मौत का आंकड़ा कंट्रोल करने में इस सुरक्षा कवच का हाथ है जिसे पल्स ऑक्सीमीटर कहते हैं। इस मीटर के जरिए मरीज अपने ऑक्सीजन लेवल पर नजर बनाएं रखते हैं। जैसे ही वो गिरता है तो वो हमारे पास आते हैं और हम उन्हें अस्पताल भेजते हैं।'
ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना से बचाने वाला ये सुरक्षा कवच पल्स ऑक्सीमीटर क्या है। किस तरह से ये काम करता है। अगर आपके मन में भी यही सवाल तैर रहे हैं तो जानिए इस सुरक्षा कवच पल्स ऑक्सीमीटर के बारे में सब कुछ..
क्या है ये पल्स ऑक्सीमीटर
ये एक तरह का टेस्ट होता है। इस टेस्ट में किसी भी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता। बस आपको इस डिवाइस में अपनी उंगली रखनी होती है और ये रीडिंग करता है। ये डिवाइस खून में ऑक्सीजन के स्तर को मापने का काम करती है। इसके साथ ही शरीर में होने वाले छोटे से छोटे अंतर का भी पता लगा सकती है।
ऐसे काम करता है पल्स ऑक्सीमीटर
ये डिवाइस ये पता लगाती है कि आपका दिल ठीक तरह से काम कर रहा है या फिर नहीं। दिल पूरे शरीर में ऑक्सीजन फ्लो का काम करता है। इसके साथ ही अगर किसी को फेफड़ों के लिए दवाई दी गई है तो वो ठीक तरह से काम कर रही है या नहीं ये भी ये डिवाइस पता लगा लेती है। ये डिवाइस सांस से जुड़ी अलग-अलग जानकारी देने का काम करती है।
आमतौर पर खून में ऑक्सीजन का फ्लो का प्रतिशत
पल्स ऑक्सीमीटर खून में ऑक्सीजन के प्रतिशत को मापने का काम करती है। साधारण तौर पर आपके खून में 89 प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन होनी चाहिए। इतना ऑक्सीजन लेवल होने का मतलब है कि आपकी शरीर स्वस्थ है। अगर इसका स्तर कम होता है तो ये शरीर के लिए हानिकारक होता है।
कोरोना में ऐसे मददगार
इस डिवाइस से मरीन घर पर रहकर ही ऑक्सीजन के स्तर पर नजर बनाए रहेंगे। कोरोना पीड़ितों में सबसे ज्यादा सांस से संबंधित ही दिक्कत होती है। ऐसे में जब उनका ऑक्सीजन लेवल नीचे जाएगा तो वो समझ जाएंगे कि अब हालत ठीक नहीं है और तुरंत अस्पताल से संपर्क करेंगे।
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