Highlights
- शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है कोरोना।
- कोरोना से रिकवर होने के बाद पेशेंट्स को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का करना पड़ रहा सामना।
पिछले दो सालों से कोरोना ने पूरी दुनिया में तहलका मचा रखा है। इसका असर ना सिर्फ हमारे शरीर और दिमाग बल्कि लाइफस्टाइल पर पड़ रहा है। कोरोना की वजह से घर में बैठे-बैठे लोगों का वजन बढ़ रहा है, वर्क फ्रॉम होम की वजह से स्क्रीन टाइम बढ़ गया है और ओवर ईटिंग की आदत हो गई है। कुल मिलाकर इस महामारी ने हमारे अंदर बहुत कुछ बदल दिया है। कुछ लोगों में कोरोना वायरस से रिकवरी होने के बाद भी इसका असर लंबे समय तक रहता है। ये घातक संक्रमण इंसान के फेफड़ों, दिल, स्किन, पैरों और बालों को खराब कर सकता है। डॉक्टर्स से जानते हैं कि कोरोना ने हमारे किन-किन अंगों को कैसे प्रभावित किया है
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फेफड़ों पर असर
कोरोना सबसे पहले फेफड़ों पर अटैक करता है। लेकिन, रिकवरी के बाद भी क्या फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है? इसे लेकर सर गंगाराम अस्पताल के एसोसिएट कंसल्टेंट, चेस्ट मेडिसिन, डॉक्टर अभिनव गुलियानी का कहना है कि- 'कोरोना फेफड़ों में जख्म कर देता है, जब यह ठीक हो जाता है तो फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। फेफड़े अपने आप सिकुड़ते नहीं हैं, इस स्थिति को 'स्कारिंग' कहते हैं'। यही नहीं कोविड के कारण जिन लोगों की हालत अधिक गंभीर हो गई थी, ऐसे लोगों में रिकवरी के बाद भी मौसम बदलने के साथ फेफड़ों के संक्रमण का खतरा अधिक हो गया है।
डॉक्टर गुलियानी ने आगे बताया कि- 'जिन लोगों को गंभीर कोविड था, उनमें एक्सरसाइज करने की क्षमता कम हो गई है। ऐसे लोगों को ठीक होने में लंबा समय लगता है, जबकि निमोनिया के मामले में ऐसा नहीं होता है। यहां तक कि जिन लोगों को गंभीर कोरोना नहीं हुआ था उनमें भी उस समय सांस फूलने की समस्या देखी गई थी। प्रदूषण की वजह से ये समस्या और बढ़ गई है। अच्छी बात ये हैं कि ब्रीदिंग एक्सरसाइज, योग, गुब्बारे फुलाने की एक्सरसाइज से फेफड़ों को ठीक रखने में मदद मिलती है'।
दिल पर असर
कोरोना महामारी के दौरान दिल से जुड़ी बीमारियों अचानक वृद्धि देखी गई। एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.अंबुज रॉय का कहना है कि- 'हल्के कोविड में शायद ही दिल पर असर पड़ा हो। लेकिन, कोरोना के गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले मामलों में इसका असर दिल और फेफड़े दोनों पर पड़ा है। कुछ लोग दवाईयों से ठीक भी हो गए। महामारी के दौरान हाइपरटेंशन कंट्रोल रेट भी गिर गई थी। इसलिए दिल के मरीजों को डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए'
बालों पर असर
कोरोना से ठीक होने के कई महीनों बाद भी लोगों को बाल झड़ने की समस्या का सामना करना पड़ा है। इंडियन स्कैल्प स्पेशलिस्ट का कहना है कि उन्होंने 'पोस्ट कोविड हेयर लॉस' के कई मामले देखे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो कुछ जरूरी सावधानी बरतने से बाल वापस आने की संभावना रहती है और आप गंजेपन का शिकार होने से बच सकते हैं।
आंखों पर असर
कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन की वजह से वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने लोगों की दुविधा बढ़ाई है। बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई की वजह से आंखों में सूजन और रूखापन आ गया है। कुछ लोगों को कम दिखाई देने की भी समस्या हो गई है। सर गंगाराम अस्पताल की नेत्र विज्ञान एसोसिएट सलाहकार डॉक्टर टिंकू बाली राजदान ने कहा- 'बड़ी संख्या में लोग डिजिटल आई स्ट्रेन से पीड़ित है। बच्चों में आंखों का सूखापन, थकान और भारीपन आम समस्या हो गई है। इसके अलावा मायोपिया के मामले भी बढ़ गए हैं। कोरोना के गंभीर मामलों में ब्लैक फंगस की भी समस्या देखी गई जिसकी वजह से कई लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई'।
दांतों पर असर
महामारी के बाद से रूट कैनाल और रेगुलर डेंटल चेकअप के मामले बढ़ गए हैं। सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर अनूप राजदान ने कहा- 'ओरल हाइजीन की कमी की वजह से मुंह में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं जो मुंह के जरिए फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। कोरोना रक्त वाहिकाओं को संक्रमित करने के लिए भी जाना जाता है। इससे दांत, मसूड़ों और जीभ में पहुंचने वाले खून में रुकावट आती है। चेहरे पर दर्द या सुन्न होने जैसे लक्षणों को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए'।
स्किन पर असर
सूजे हुए होंठ, चेहरे पर मुंहासे, चिंता का विषय बन गए हैं। कुछ लोगों को N95 या हाई ग्रेड के मास्क पहनने की वजह से त्वचा में अधिक जलन का अनुभव हो रहा है। वायरस से बचाव में मास्क बहुत कारगर है, इसलिए इसकी क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। कई बार, मास्क को ना धोने और पसीने की वजह से भी स्किन इंफेक्शन होने लगता है। इसलिए मास्क की भी सफाई पर ध्यान देना जरूरी है।
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