कोरोना वायरस की जंग पूरे देश में जारी हैं। देश सहित पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन बनाने के लिए पूरी मेहनत कर रही हैं। इसी बीच देश में कोरोना के इलाज का जो तरीका सबसे ज्यादा चर्चा में बना हुआ है वह है प्लाज्मा थेरेपी। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोगों से अपील कर रहे हैं कि दूसरे की जान बचाने के लिए प्लाज्मा डोनेट करें। इतना ही नहीं प्लाज्मा डोनेट करने के लिए अस्पताल आने-जाने का खर्च सरकार देगी। उन्होंने कहा कि 18 से 60 साल तक के लोग प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। ऐसे में हर किसी के के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर यह प्लाज्मा डोनेशन क्या है। कौन लोग डोनेट कर सकते हैं। जानिए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब।
क्या होता है प्लाज्मा?
अगर आपको प्लाज्मा के बारे में जानना हैं तो इसके लिए आपको पहले खून के बारे में अच्छे से जानना होगा। हमारा खून 4 चीजों से मिलकर बना होता है पहला रेड ब्लड सेल्स, दूसरा व्हाइट ब्लड सेल्स, तीसरा प्लेटलेट्स और चौथा प्लाज्मा। प्लाज्मा हमारे ब्लड में लिक्विड फॉर्म में करीब 55 फीसदी होता है। जिससे में करीब 92 प्रतिशत पानी होता है। वहीं 7 फीसदी प्रतिशत वाइटल प्रोटीन और बचा हुए भाग में विटामिन्स, हार्मोंस, फैट आदि होता है।
कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी?
स्टेम सेल्स इम्यूम सिस्टम को मजबूत करती है। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है। जिससे कोरोना वायरस को निजात पाने में कारगर माना जाता है। स्टेम सेल्स से उन मरीजों का इलाज किया जा रहा जो कोरोना से गंभीर रूप से पीड़ित है। यह एक सर्पोटिव थेरेपी है। जब आदमी बहुत बीमार हो जाता है, तो हमारे बॉडी में इतने एंडीबॉडी बन जाते है कि वह शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को मारने लगता है। ऐसे में स्टेम सेल्स मदद करता है।
कैसे होता है प्लाज्मा डोनेशन
कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को पूरी तरीके से रिकवर हो जाने के बाद शरीर से ऐस्पेरेसिस तकनीक की मदद से खून निकाला जाता है। जिसमें खून से प्लाज्मा या प्लेटलेट्स को निकालकर बाकी खून को फिर से उसी रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, एंटीबॉडी खून के प्लाज्मा में मौजूद होता है, डोनर के शरीर से लगभग 800 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाता है। जिससे करीब तीन से चार मरीजों में इस्तेमाल हो सकता है।
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कौन होता है डोनर?
अब बात करें कि आखिर इसका डोनर कौन होता है तो आपको बता दें कि डोनर वो लोग होते है जो कोरोना के संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। उनके शरीर में इस संक्रमण को खत्म करने वाला प्रतिरोधी एंटीबॉडी विकसित होता है। जिसकी मदद से रोगी की ब्लड में मौजूद वायरस को खत्म किया जाता है। किसी मरीज के शरीर से एंटीबॉडीज उसके ठीक होने के दो हफ्ते बाद ही लिए जा सकते हैं। इसके साथ ही उस व्यक्ति का ठीक होने के बाद 2 बार टेस्ट किया जाना चाहिए। जिनकी उम्र 18 से 50 साल के बीच है और वजन 50 किग्रा से कम नहीं है। वे अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।
कौन लोग नहीं दे सकते हैं प्लाज्मा
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ऐसी महिलाएं जो एक बार भी मां बन चुकी हैं, वो प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकतीं। इसके अलावा शुगर के मरीज, कैंसर से पीड़ित. हार्ट बीमारियों से संक्रमित मरीज, हाइपरटेंशन के मरीजों के अलावा जिनका बीपी 140 से ज्यादा है। वह प्लाज्मा नहीं दे सकते।
दिल्ली में कहां-कहां कर सकते हैं डोनेट
कई लोग प्लाज्मा डोनेट करने को तैयार भी हो जाते हैं लेकिन उन्हें इस बात की टेंशन होती है कैसे और कहां डोनेट कर सकते हैं। ऐसे में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। दिल्ली के मुख्मंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर आप प्लाज्मा डोनेट करना चाहते हैं तो हमें 1031 पर कॉल करें। आप हमें 8800007722 पर व्हॉट्सएप कर सकते हैं। हमारे डॉक्टर आपसे आपकी पात्रता की पुष्टि करने के लिए संपर्क करें। रजिस्ट्रेशन के बाद दिल्ली सरकार से फोन जाएगा। प्लाज्मा डोनेशन का टाइम फिक्स हो जाएगा। जिसके बाद घर गाड़ी भेज दी जाएगी।
कब से शुरू हुआ प्लाज्मा ट्रीटमेंट
कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद ही आपके प्लाज्मा डोनेशन के बारे में सुना होगा। लेकिन आपको बता दूं कि यह ट्रीटमेंट 130 साल पुरानी यानी साल 1890 में जर्मनी के फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेह्निंग ने खोजा था। इस खोज के लिए उन्हों नोबेल पुरस्कार भी मिला था। जोकि चिकित्सा के क्षेत्र में पहला नोबेल था।
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दिल्ली में बना पहला प्लाज्मा बैंक
सीएम अरविंद केजरीवाल के अनुसार प्लाज्मा बैंक काफी हद तक एक ब्लड बैंक की तरह काम करेगा। साउथ दिल्ली मेंइंस्टिट्यूट ऑफ़ लिवर एंड बिलारी साइंसेज (ILBS) अस्पताल में स्थापित किया गया है जो आज से शुरू हो गया है। दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में मरीज डॉक्टर से बातचीज करते यहां पर संपर्क कर सकते है।