चिरौंजी का इस्तेमाल ज्यादातर खीर और सेवई में इस्तेमाल किया जाता है। इसके छोटे-छोटे बीज खाना में बेहद टेस्टी लगते हैं। इसके दानों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। चिरौंजी का इस्तेमाल खांसी और स्किन से जुड़ी समस्याओं में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं चिरौंजी का इस्तेमाल पेट से जुड़ी गंभीर समस्याओं में जैसे- कब्ज, पेचिश, डायरिया और दस्त में फायदा पा सकते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही इसका इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा में किया जा रहा है। चलिए जानते हैं पेट की समस्याओं में चिरौंजी के इस्तेमाल के बारे में।
पेट की समस्याओं में चिरौंजी का इस्तेमाल
- कब्ज: कब्ज की समस्या में चिरौंजी औषधि के रूप में काम करती है। सूखी दाल की तरह दिखने वाला यह ड्राई फ्रूट कब्ज के लिए कारगर माना जाता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र में मौजूद गन्दगी और विषाक्त पदार्थ भी दूर होते हैं। आंतों की अंदरूनी परत को साफ कर यह कब्ज की समस्या में राहत देता है। इसका नियमित सेवन कब्ज की समस्या को जड़ से खत्म कर सकता है। आप कब्ज की समस्या से बचने के लिए रोजाना रात को चिरौंजी का सेवन करें।
- पेचिश: पेचिश आपकी आंतों में एक संक्रमण है जो खूनी दस्त का कारण बनता है। यह बैक्टीरिया के कारण हो सकता है। पेचिश में चिरौंजी का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। दस्त के साथ खून आने की समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पेचिश की समस्या में आप चिरौंजी के पत्ते और जड़ को पीसकर उसमें मक्खन मिला दें और फिर इसका सेवन करें। इससे भी दस्त और पेचिश की समस्या में फायदा मिलेगा।
- जुलाब: जुलाब की समस्या में चिरौंजी के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। दस्त की समस्या में आप चिरौंजी के तेल से बनी खिचड़ी, दलिया आदि का सेवन कर सकते हैं। चिरौंजी के पाउडर को दूध में मिलाकर पीने से भी दस्त और डायरिया में फायदा मिलता है। इसका सेवन करने से पहले किसी डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- पाचन में फायदेमंद: चिरौंजी के बीज में फाइबर सामग्री है, जो पाचन को बढ़ावा देने और कब्ज को रोकने में मदद कर सकती है। इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो पाचन तंत्र में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।